झारखंड

झारखंड में दो लोको पायलटों की सूझबूझ से पलामू टाइगर रिजर्व के एक दर्जन हाथियों की बची जान

Bharti sahu
27 Aug 2022 9:47 AM GMT
झारखंड में दो लोको पायलटों की सूझबूझ से पलामू टाइगर रिजर्व के एक दर्जन हाथियों की बची जान
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झारखंड में दो लोको पायलटों की सूझबूझ से पलामू टाइगर रिजर्व के एक दर्जन हाथियों की जान बच गई।

झारखंड में दो लोको पायलटों की सूझबूझ से पलामू टाइगर रिजर्व के एक दर्जन हाथियों की जान बच गई। बताया जा रहा है कि शुक्रवार शाम करीब छह बजे एक ट्रेन 70 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार से पलामू टाइगर रिजर्व होते हुए बंगाल की ओर जा रही थी। तभी लोकोमोटिव पायलटों ने अचानक हाथियों के झुंड को चिपदोहर और हेहेगरा रेलवे स्टेशनों के बीच पटरियों को पार करते देखा। इसके बाद सहायक लोको पायलट रजनीकांत चौबे और लोको पायलट एके विद्यार्थी ने तेजी से आपातकालीन ब्रेक खींचा और ट्रेन झुंड से करीब 60 मीटर दूर रुक गई।

'कॉशन लाइन' के बाद ट्रेन की गति सीमा 25 किमी प्रति घंटे थी
लोको पायलट चौबे ने कहा कि जहां घटना हुई उस हिस्से पर गति की कोई सीमा नहीं थी, लेकिन 500 मीटर दूर 'कॉशन लाइन' के बाद गति सीमा 25 किमी प्रति घंटे थी। वहीं पलामू टाइगर रिजर्व के एक अधिकारी ने कहा कि मौजूदा डबल-लाइन रिजर्व के मुख्य क्षेत्र में छिपादोहर और हेहेगरा के बीच 11 किलोमीटर की दूरी से होकर गुजरती है। 1129.93 वर्ग किमी क्षेत्र में फैले इस रिजर्व में स्तनधारियों की 47 प्रजातियां और पक्षियों की 174 प्रजातियां हैं। रिजर्व में करीब 250 हाथी हैं।
पलामू टाइगर रिजर्व के फील्ड डायरेक्टर लोको पायलट का शुक्रिया अदा किया
स्थानीय लोगों के साथ पलामू टाइगर रिजर्व के फील्ड डायरेक्टर कुमार आशुतोष ने कहा कि 12 हाथियों की जान बचाने के लिए हम लोको पायलटों का शुक्रिया अदा करते हैं। उन्होंने कहा कि घने जंगल के बीच से ट्रेनों की लगातार आवाजाही से रिजर्व में वन्यजीवों को खतरा है। उन्होंने कहा कि इस खंड में अतीत में कई हाथी मारे गए थे। मैं अन्य लोको पायलटों से चौबे और विद्यार्थी की तरह सतर्क रहने का आग्रह करूंगा।


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