जनता से रिश्ता वेबडेस्क | उच्चतम न्यायालय ने शुक्रवार को मनी लॉन्ड्रिंग के आरोपी भारतीय प्रशासनिक सेवा (आईएएस) झारखंड कैडर की अधिकारी पूजा सिंघल के पति व्यवसायी अभिषेक झा की अग्रिम जमानत याचिका पर विचार करने से इनकार कर दिया। न्यायमूर्ति सूर्यकांत और न्यायमूर्ति एम एम सुंदरेश की अवकाशकालीन पीठ ने कहा कि इस मामले में न्यायमूर्ति संजय किशन कौल की अध्यक्षता वाली पीठ के समक्ष गुहार लगाई जा सकती है, जिसने पहले याचिकाकर्ता की पत्नी पूजा सिंघल को अंतरिम जमानत दी थी।
पीठ ने इस अग्रिम जमानत की याचिका पर विचार के लिए 5 जुलाई की तारीख मुकर्रर की है। प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) के आरोपी झा ने उच्च न्यायालय के 18 मई के आदेश की वैधता को चुनौती दी है, जिसमें दंड प्रक्रिया संहिता- 1973 की धारा 438 के तहत उन्हें अग्रिम जमानत देने के विवेक का प्रयोग करने से इनकार कर दिया गया था। याचिकाकर्ता ने अपनी याचिका में कहा कि वह पूछताछ के लिए ईडी के समक्ष आसानी से उपलब्ध हुआ है और जांच में पूरा सहयोग किया है।
गौरतलब है कि आईएएस अधिकारी राज्य के खान एवं भूतत्व विभाग की सचिव और झारखंड राज्य खनिज विकास निगम लिमिटेड (जेएसएमडीसी) की प्रबंध निदेशक थी। ईडी ने 11 मई 2022 को उन्हें (सिंघल) गिरफ्तार किया था। एक दिन बाद 12 मई को झारखंड सरकार ने उन्हें निलंबित कर दिया। ईडी ने आरोप लगाया था कि आईएएस अधिकारी की गिरफ्तारी के बाद उनके पास से बरामद सामग्री राजनीतिक तौर पर उच्च पदों पर बैठे लोगों के साथ उनके सीधे संबंध को दर्शाती है। उन पर 2010 में मनरेगा धन के वितरण में अनियमितता का भी आरोप लगाया गया था।