झारखंड

मैं सोचता हूं कैसे कोई अफसर अपना करियर दांव पर लगा देते हैं- बाबूलाल मरांडी

Rani Sahu
30 Nov 2022 4:06 PM GMT
मैं सोचता हूं कैसे कोई अफसर अपना करियर दांव पर लगा देते हैं- बाबूलाल मरांडी
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रांची : हेमंत सरकार के इशारे पर हर ग़लत काम करने वाले ऐसे कुछ अफ़सर आजकल परेशानी में अपने-अपने सम्पर्कों के ज़रिये मिलते हैं और मिलाने का प्रयास करते हैं। उन्हें अपने किए का भय है कि न जाने कब उनकी गर्दन दबोची जाए ? ये बातें भाजपा विधायक दल के नेता बाबूलाल मरांडी ने कही है। उन्होंने अपने मुख्यमंत्रित्व काल का एक अनुभव शेयर करते हुए बताया कि उस समय उग्रवादियों का उत्पात चरम पर था। मेरी योजना ज़्यादा से ज़्यादा उग्रवादियों और उनके सहयोगियों को मुख्यधारा में वापस लाने की थी। आदिवासी बाहुल्य क्षेत्र एक जिले में कुछ उग्रवादियों को लाजिस्टिक सपोर्ट देने वालों के पीछे पुलिस हाथ धोकर पड़ी हुई थी। मैं ने वहां के एक सीनियर पदाधिकारी को बुलाकर कर कहा कि उन्हें मुख्यधारा में लाना चाहता हूं। इस लिए उनप थोड़ा रहम करिए। वो अधिकारी रो पड़े और कहा कि "सर ये लोग भारी बदमाश हैं। मेरे से तो ये नहीं होगा। आप चाहें तो मुझे वहां से हटा दीजिये।" मैं ने तुरंत अपनी बात वापस ली और उन्हें कहा कि बेहिचक अपनी कार्रवाई जारी रखिए। उन्होंने कहा कि आज भी उन्हें देखता हूं तो मुझे उनकी बात याद आ जाती है और मैं उन्हें सम्मान से ही देखता हूं। संयोगवश वो अफ़सर भी आदिवासी समाज से ही थे। लेकिन मैं ने पद के गोपनीयता की शपथ ली थी, इसलिये उनका नाम उजागर नहीं करूंगा। मुझे शर्म आती है और आश्चर्य होता है कि ठीक इसके उलट कुछ नये अफ़सरों के भी क़ानून से अलग सत्ता के इशारे पर चंद पैसे और महत्वपूर्ण पद के लालच में ग़लत काम करने की करतूत सुनता हूं।
अफसर इतिहास के पन्ने पलटकर देखें
वहीं उन्होंने कहा कि ऐसे लोग जब अपनी सफाई देते हए बताते हैं कि उनसे दवाब देकर कैसे ग़लत काम करा लिया गया। तो सुनकर हैरानी होती है। ऐसे लोग जब कहते हैं कि उनके जान पर बन जायेगी तो मजबूरी में सारे पोल-पट्टी खोलना ही पड़ेगा। मुझे लालू प्रसाद का वो ज़माना याद आ रहा है जब चारा घोटाला मामले में उनके सहयोगी अफ़सर, दलाल, सप्लायर औऱ खुद लालू प्रसाद जेल गए। तो वो सब खुद डूबे और लालू को भी ऐसा डुबोया कि आज इतिहास बन गया है। सोचता हूं कि पिछली ग़लतियों का उदाहरण सामने होने के बाद भी आख़िर कोई अफ़सर या नेता लालच में आकर कैसे अपना पूरा कैरियर दांव पर लगाने के बारे में सोच लेता है ? मैं ब्यूरोक्रेसी से पुनः विनम्र आग्रह करता हूं कि इतिहास के पन्ने पलट कर देखें और सोचें कि ग़लत का अंजाम अंत में क्या होता है?
( जनता से रिश्ता इस खबर की पुष्टि नहीं करता है ये खबर जनसरोकार के माध्यम से मिली है और ये खबर सोशल मीडिया में वायरलहो रही थी जिसके चलते इस खबर को प्रकाशित की जा रही है। इस पर जनता से रिश्ता खबर की सच्चाई को लेकर कोई आधिकारिक पुष्टि नहीं करता है।)
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