x
राज्य के 12 नक्सल प्रभावित जिलों में अनुबंध पर कार्यरत 2500 सहायक पुलिसकर्मियों की सेवा समाप्त करने का सिलसिला शुरू हो गया है
Ranchi: राज्य के 12 नक्सल प्रभावित जिलों में अनुबंध पर कार्यरत 2500 सहायक पुलिसकर्मियों की सेवा समाप्त करने का सिलसिला शुरू हो गया है. गुरूवार को दुमका और जमशेदपुर के 173 सहायक पुलिसकर्मियों की सेवा समाप्ति का आदेश निर्गत कर दिया गया. इस मामले को लेकर विपक्षी भाजपा ने हेमंत सरकार पर युवा और आदिवासी विरोधी होने का आरोप लगाया है तो वहीं अब सीएम हेमंत सोरेन ने एक महीने का सेवा विस्तार देते हुए जल्केदी ही मामले में फैसला लेने की बात कही है. सीएम ने ट्विट कर इसकी जानकारी दी.
पश्चिमी सिंहभूम और दुमका में तैनात 173 सहायक पुलिसकर्मी की सेवा समाप्त
पश्चिमी सिंहभूम में तैनात 76 सहायक पुलिसकर्मियों की सेवा समाप्त कर दी गई है. सहायक पुलिसकर्मियों की सेवा बहाल रखने के लिये 4 अगस्त को अनुशंसा भेजी गई थी लेकिन सेवा जारी रखने के लिये कोई निर्देश नही मिलने के बाद अनुबंध अवधि पूरा होने पर बीते गुरुवार से सेवा समाप्त कर दी गई. इससे पहले दुमका जिले में भी तैनात 97 सहायक पुलिसकर्मियों की सेवा समाप्त कर दी गई है. सहायक पुलिसकर्मी का सेवा बहाल रखने के लिये दुमका एसपी ने अनुशंसा भेजी थी, लेकिन सेवा जारी रखने के लिये कोई निर्देश नही मिलने के बाद अनुबंध अवधि पूरा होने पर बीते बुधवार से सेवा समाप्ति का आदेश जारी कर दिया गया है.
12 जिलों में 2500 सहायक पुलिसकर्मी हैं सेवारत
झारखंड के नक्सल प्रभावित 12 जिलों में तैनात 2500 सहायक पुलिसकर्मियों की सेवा इसी वर्ष पांच साल पूरी होने वाली है. नियुक्ति के समय गृह विभाग ने यह शर्त लगायी थी कि अधिकतम पांच साल से अधिक इनकी सेवा नहीं ली जा सकती है. हालांकि जिलों से राज्य सरकार से इस संबंध में दिशानिर्देश की मांग की गई और कहा गया कि उनके यहां नियुक्त अधिकांश सहायक पुलिस की सेवा समाप्त हो रही है. ऐसे में अब इनके लिये मार्गदर्शन दिया जाये. लेकिन अब तक दिशा निर्देश नही मिलने के कारण सेवा समाप्ति का आदेश जारी कर दिया गया.
गृह विभाग के अधिसूचना संख्या 1169 दिनांक 27.02.2017 की कंडिका 10(क) में अधिसूचना सेवाशर्त के अनुसार सहायक पुलिसकर्मी की सेवा दो वर्ष के लिये अनुबंध के आधार पर हुयी थी. कार्य संतोषप्रद होने पर एसएसपी और एसपी के अनुशंसा के आधार पर एक एक वर्ष के लिये अधिकतम तीन वर्षो के लिये संबंधित डीआईजी के अनुमोदन के उपरांत विस्तारित करने का प्रावधान था. गृह विभाग के पत्र में लिखा है किसी भी परिस्थिति में कुल अनुबंध सेवा अवधि पांच वर्ष से अधिक नहीं होगी.
झूठ और फरेब की सारी हदें हेमंत सरकार ने पार कर दी हैं: दीपक प्रकाश
भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष सह राज्यसभा संसद दीपक प्रकाश ने इस मामले को लेकर राज्य की हेमंत सरकार पर निशाना साधते हुए कहा कि झारखंड के कई जिलों के मूलवासी-आदिवासी बच्चे जो सहायक पुलिसकर्मी के रूप में काम कर रहे थे. उन्हें हटा देना अत्यंत दुर्भाग्यपूर्ण है. मुख्यमंत्री जी 5 लाख नौकरी देने की बात करके कुर्सी पर बैठे थे या छीनने के लिए. झूठ और फरेब की सारी हदें हेमंत सरकार ने पार कर दी हैं.
हेमंत सरकार युवा और आदिवासी विरोधी सरकार: रघुवर दास
सहायक पुलिस में गांव-देहात के बच्चे शामिल किए गए थे. इसका उद्देश्य झारखंड से नक्सलियों को समाप्त करने के उद्देश्य से की गई थी, जिसमें काफी हद तक सफलता भी मिली. आप नाम पढ़िए और खुद तय कीजिए. क्या यह गरीबों के साथ अन्याय नहीं है? आदिवासी और गरीबों के नाम पर हेमंत सरकार केवल झूठ बोलती है. हमारे समय रोजगार प्राप्त किए कई युवाओं को हेमंत सरकार ने बेरोजगार कर दिया है. हर दिन नए झूठे वादे कर हेमंत सोरेन अभी भी युवाओं को बरगलाने का प्रयास कर रहे हैं, लेकिन अब झारखंड का युवा उन्हें इसका माकूल जवाब देगा.
सहायक पुलिसकर्मियों को मिलेगा सेवा विस्तार: मिथिलेश ठाकुर
पेयजल स्वच्छता मंत्री मिथिलेश ठाकुर ने मिडिया से बात करते हुए बताया कि सेवा मुक्त हुए सहायक पुलिस कर्मियों को राज्य सरकार सेवा विस्तार दे सकती है. सीएम संवेदनशील सहायक पुलिस कर्मियों को लेकर गंभीर हैं. राज्य सरकार ने पिछले वर्ष भी आंदोलनरत रहे सहायक पुलिस कर्मियों को एक साल का कार्य विस्तार दिया था. अभी भी सभी प्रमंडलों से सेवा विस्तार दिये जाने को लेकर डीआईजी स्तर के अधिकारियों की तरफ से सरकार के पास मार्गदर्शन मांगी गयी है. जल्द ही इस मसले पर सहायक पुलिस कर्मियों के हिस्से में निर्णय लिया जायेगा.
सोर्स - News Wing
Rani Sahu
Next Story