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गुमला। गुमला के कुरूमगढ़ थाना की पुलिस ने भाकपा माओवादी के हार्डकोर सदस्य रामकेश्वर उरांव (37) को गिरफ्तार कर लिया है. पुलिस ने उसे उसके घर गुमला थाना क्षेत्र के हेठजोरी गांव से पकड़ा है. वह चार साल से फरार था. रविवार को रामकेश्वर अपने परिवार के सदस्यों से मिलने गांव आया था. तभी पुलिस ने गुप्त सूचना पर उसे धर दबोचा. पूछताछ के बाद सोमवार को उसे न्यायिक हिरासत में प्रस्तुत कर जेल भेज दिया गया.
रामकेश्वर उरांव हत्या, पुलिस के साथ मुठभेड़, लेवी वसूलने, आइइडी बम लगाने में शामिल था. वह पुलिस के साथ हुई मुठभेड़ में चार बार बचकर भाग गया था. वह 7 वर्षों से भाकपा माओवादी का सक्रिय सदस्य था. यहां तक कि बड़े नक्सली नेताओं के लिए खाने-पीने, रहने की व्यवस्था के अलावा गुमला रूट के जंगलों से गुजरने में उनकी मदद भी करता था. पुलिस मुठभेड़ में दो साल पहले मारे गये माओवादी के शीर्ष नेता बुद्धेश्वर उरांव का रामकेश्वर उरांव दाहिना हाथ था.
बुद्धेश्वर के कहने पर ही वह भाकपा माओवादी में शामिल हुआ था. वर्ष 2019 में वह नक्सली भय दिखाकर राशन डीलर भी बन गया था. कुरूमगढ़ के थाना प्रभारी नीतीश कुमार ने बताया कि कुरूमगढ़ थाना कांड संख्या 3/21 के प्राथमिक अभियुक्त को सोमवार को न्यायिक अभिरक्षा में जेल भेजा गया. वह पांच वर्षों से संगठन का सक्रिय सदस्य रहा है. पूर्व में कई कांडों में इसकी संलिप्तता पायी गयी है. गुरदरी, कुरूमगढ़ और गुमला थाना में इसके विरुद्ध मामले दर्ज हैं. उग्रवादी संगठन के लिए यह काफी लंबे अरसे से काम करता रहा है.
पुलिस गिरफ्त में आने के बाद रामकेश्वर उरांव ने जो बयान दिया है, उसमें कहा है कि पुलिस को जंगलों में घुसने से रोकने व जंगल में घुसने के बाद पुलिस को नुकसान पहुंचाने के लिए वह अपने दस्ते के साथ मिलकर जंगलों में आइइडी बिछाने का काम करता था. उसकी वफादारी व काम के कारण उसे संगठन में शामिल कर बड़ा पद देने की तैयारी चल रही थी. वह अक्सर नक्सली दस्ते के साथ घूमता था. बड़े नक्सली नेताओं की कई जरूरतों को वह पूरा करता था. माओवादी के शीर्ष नेता बुद्धेश्वर उरांव (अब स्वर्गीय), रंथु उरांव, लाजिम अंसारी, खुदी मुंडा, अमन नगेशिया, सुदर्शन भुइयां के साथ वह घूमता था. पिता की मृत्यु का बाद वह नक्सली दस्ते में सक्रिय हो गया था. संदीप गोप की हत्या भी उसने ही की थी.
15 सितंबर 2022 को चापाझरिया, 17 फरवरी 2021 को केरागानी, 25 फरवरी 2021 को रोरेद गांव में आइइडी बिछाने में शामिल था. साथ ही इन्हीं तीन तिथियों को इन तीनों जंगलों में पुलिस के साथ मुठभेड़ में रामकेश्वर शामिल था. पुलिस की गोली से वह तीनों बार बचकर भाग निकला था. इसके बाद से वह डर गया था और संगठन में हथियार जमाकर छिपते हुए फिर रहा था.
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