झारखंड

जिमनास्ट शुभम की मौत मामलाः परिजनों ने निकाला कैंडल मार्च, राज्यपाल और सीएम को ज्ञापन देने की तैयारी

Shantanu Roy
8 Nov 2021 6:31 AM GMT
जिमनास्ट शुभम की मौत मामलाः परिजनों ने निकाला कैंडल मार्च, राज्यपाल और सीएम को ज्ञापन देने की तैयारी
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खेल गांव के महुआ टोली के रहने वाले 15 वर्षीय राष्ट्रीय जिनमास्ट शुभम कुमार राम का रिम्स में इलाज के दौरान मौत हो गई और यह मामला लगातार तूल पकड़ रहा है. शुभम कुमार के परिजनों ने खेल विभाग और कई लोगों पर गंभीर आरोप लगाया है.

जनता से रिश्ता। खेल गांव के महुआ टोली के रहने वाले 15 वर्षीय राष्ट्रीय जिनमास्ट शुभम कुमार राम का रिम्स में इलाज के दौरान मौत हो गई और यह मामला लगातार तूल पकड़ रहा है. शुभम कुमार के परिजनों ने खेल विभाग और कई लोगों पर गंभीर आरोप लगाया है. इसी कड़ी में खेल गांव स्टेडियम के समक्ष शुभम कुमार के परिजनों ने कैंडल मार्च निकाला और शुभम को श्रद्धांजलि दी. साथ ही राज्यपाल और मुख्यमंत्री के नाम ज्ञापन सौंपने की बात कही.

इस पूरे मामले को लेकर शुभम के परिजनों और आसपास के लोग खेल गांव स्थित इंटरनेशनल मेगा स्पोर्ट्स स्टेडियम के बाहर रविवार को भी आंदोलन किया. शुभम को न्याय दिलाने के उद्देश्य से एक कैंडल मार्च निकाला गया और शुभम को श्रद्धांजलि अर्पित की गयी. इस दौरान राज्य सरकार से पूरे मामले की जांच करने की मांग की. कैंडल मार्च में शामिल लोगों ने कहा कि मुख्यमंत्री और राज्यपाल को ज्ञापन सौंपा जाएगा और पूरे मामले की जांच की मांग की जाएगी. साथ ही उनके परिजनों को मुआवजा देने की मांग भी ज्ञापन के जरिए की जाएगी.
बीते मंगलवार को शुभम की मौत रिम्स में इलाज के दौरान हुई. शुभम के परिजनों ने रिम्स प्रबंधक पर लापरवाही का आरोप भी लगाया है. जिमनास्ट शुभम कुमार राम पिछले 3 साल से खेल निदेशालय की ओर से संचालित स्पोर्ट्स कंपलेक्स डे बोर्डिंग सेंटर का प्रशिक्षु है. 22 अक्टूबर को अभ्यास के दौरान शुभम घायल होकर गिर पड़ा जिसमें उसकी गर्दन की हड्डी टूट गई. आनन-फानन में सेंटर के कोच ने उन्हें रिम्स पहुंचाया.
रिम्स में 10 दिनों तक इलाज चलने के बाद भी शुभम को बचाया नहीं जा सका. हालांकि परिजनों ने रिम्स प्रबंधन और चिकित्सकों पर गंभीर आरोप लगाया है. वहीं कोच पर भी कई सवाल खड़े किए जा रहे हैं. उन्होंने कहा है कि रिम्स में लापरवाही हुई है, खेल निदेशालय और खेल से जुड़े पदाधिकारी भी मामले को गंभीरता से नहीं लिया है. अगर शुभम का इलाज किसी दूसरे अस्पताल में होता तो शायद उसकी जान बच जाती.


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