राँची न्यूज़: कृषि मंत्री बादल पत्रलेख ने कहा कि राज्य में गोवंश के गोबर से हम जैविक कृषि के क्षेत्र में झारखंड की एक अलग पहचान बना सकते हैं. राज्य के पांच जिलों से गोधन न्याय योजना की शुरुआत पायलट प्रोजेक्ट के रूप में हो रही है. इस प्रोजेक्ट की सफलता की समीक्षा के बाद पूरे राज्य में इसे चलाने की योजना बनाएंगे. उन्होंने गोपालकों से अनुरोध किया कि वह राज्य को जैविक झारखंड बनाने की दिशा में आगे बढ़ें.
कृषि मंत्री पशुपालन भवन, हेसाग में झारखंड जैविक कृषि प्राधिकार (ओफाज), कृषि विभाग की अति महत्वाकांक्षी योजना, गोधन न्याय योजना के शुभारंभ को लेकर आयोजित कार्यशाला को संबोधित कर रहे थे. विभिन्न जिलों से आए प्रगतिशील किसानों और दुग्ध उत्पादकों को संबोधित करते हुए उन्होंने कहा कि राज्य में ज्यादा से ज्यादा जैविक खाद्य पदार्थों का उपयोग हो, हमारे उत्पादों को जैविक उत्पाद की मान्यता मिले, इसके लिए एजेंसी और सेंटर बनाने की तैयारी सरकार कर रही है. इस योजना के तहत राज्य के गोपालकों से 02 रुपए प्रतिकिलो गोबर सरकार खरीदेगी और किसानों को उनके इलाके में 08 रुपए प्रतिकिलो वर्मी कंपोस्ट उपलब्ध कराएगी. पांच जिलों में 572 वर्मी कंपोस्ट यूनिट बनाने का लक्ष्य तय किया गया है. प्रथम चरण में करीब 10 हजार किसान लाभान्वित होंगे. प्रोजेक्ट की शुरुआत प्रत्येक प्रमंडल के एक-एक जिला ( रांची, देवघर, पलामू, पूर्वी सिंहभूम और गिरिडीह) से की जा रही है.
इस अवसर पर कृषि निदेशक चंदन कुमार, उद्यान निदेशक, सीईओ ओफाज महालिंगा शिवाजी, निदेशक हॉर्टिकल्चर नेसार अहमद, संयुक्त निदेशक शशिभूषण अग्रवाल, रामकृष्ण मिशन के सचिव स्वामी भविष्यानंद व विभिन्न जलों के कृषि पदाधिकारी समेत बड़ी संख्या में कृषक और कृषक मित्र उपस्थित थे.