
Ghatshila : घाटशिला प्रखंड के तीन उर्दू स्कूलों को शुक्रवार को खोलने के प्रखंड शिक्षा प्रसार पदाधिकारी (बीईईओ) के मौखिक आदेश को स्थानीय ग्रामीणों ने मानने से इंकार किया है. उनका कहना है कि इन स्कूलों में सौ फीसदी अल्पसंख्यक समुदाय के बच्चे पढ़ते हैं. शुक्रवार को जुमे के दिन अवकाश की परंपरा भी वर्षों से चली आ रही है. इस परंपरा को आगे भी कायम रखने का निर्णय लिया गया है. इसके साथ ही स्कूल का नाम उर्दू में लिखने से हटाने के बीईईओ के आदेश को भी ग्रामीणों ने मानने से इंकार कर दिया है. इस मामले में स्थानीय जुगीशोल उर्दू उत्क्रमित उच्च विद्यालय परिसर में ग्राम शिक्षा समिति की बैठक हुई. इसमें प्रबंध समिति और पंचायत प्रतिनिधियों के अलावा ग्रामीण भी शामिल हुए. बैठक में निर्णय लिया गया कि यह विद्यालय वर्ष 1936 से उर्दू विद्यालय के नाम से संचालित होते आ रही है. वर्तमान में इस विद्यालय में वर्ग एक से दस तक के बच्चों का पठन-पाठन होता है. कुल 242 विद्यार्थी अध्ययनरत है. वर्ष 2012 में मध्य विद्यालय को उत्क्रमित करते हुए उच्च विद्यालय किया गया. इस विद्यालय सौ प्रतिशत अल्पसंख्यक बच्चे पढ़ते हैं. नियमानुसार शुरू से ही शुक्रवार को जुमा होने के कारण अवकाश रहता है, जबकि रविवार को कार्यदिवस रहता है. इसलिए सभी ग्रामवसियों ने निर्णय लिया कि यह नियम पहले की तरह ही रहने दिया जाए. इसके लिए विद्यालय के नाम में उर्दू शब्द को भी रखा जाए. इससे संबंधित मांग पत्र बीईईओ की अनुपस्थिति में कार्यालय की रीना काश्त को सौंपा गया. इस मौके पर मुखिया चैतन मुर्मू, शेख शहजाद, मो. आसिफ, शेख रमीजुद्दीन, इनामुल अली, उप प्रमुख सुकरा मुंडा सहित अन्य लोग उपस्थित थे. इसके अलावा दोलकी उर्दू विद्यालय के प्रबंध समिति की ओर से भी बीईईओ के नाम एक मांग पत्र इनामुल अली एवं ग्रामीणों ने सौंपा.
सोर्स- News Wing
