झारखंड

गढ़वा : दान की जमीन पर डोला मन, जोत दिया स्कूल का खेल मैदान

Renuka Sahu
26 Sep 2022 2:56 AM GMT
Garhwa: Donated mind on donated land, plowed school playground
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न्यूज़ क्रेडिट : lagatar.in

गढ़वा के रंका अनुमंडल क्षेत्र के बांदू चुतरू गांव से एक हैरान करने वाला मामला सामने आया है.

जनता से रिश्ता वेबडेस्क। गढ़वा के रंका अनुमंडल क्षेत्र के बांदू चुतरू गांव से एक हैरान करने वाला मामला सामने आया है. कुछ ग्रामीणों ने दरियादिली दिखाते हुए स्कूल में मैदान बनाने के लिए करीब 16 साल पहले राज्यपाल के नाम 1 एकड़ 31 डिसमिल जमीन दान दी थी. ग्रामीणों ने यह दान राज्यपाल के नाम 3 जनवरी 2006 को शपथ पत्र के माध्यम से किया था. 16 साल बाद दानदाताओं की नियत डोल गई और उन्होंने फिर से जमीन पर कब्जे की नीयत से मैदान को जोत डाला. खेल मैदान जोते जाने से ग्रामीणों, स्कूल प्रबंधन और स्कूली बच्चों में आक्रोश है. ग्रामीणों का कहना है कि अगर ऐसा ही करना था तो जमीन दान क्यों दी. स्कूली बच्चों का कहना है कि दानदाता उनके भविष्य के साथ खिलवाड़ कर रहे हैं, अब हम बच्चे कहां खेलेंगे.

बता दें कि 3 जनवरी 2006 को शपथ पत्र के माध्यम से झारखंड के राज्यपाल के नाम ग्रामीण शिव कुमार यादव, लल्लू यादव, लालमणि यादव, ठाकुर दयाल यादव ने लिखित रूप से 1 एकड़ 31 डिसमिल जमीन खेल मैदान बनाने के लिए दान दी थी. उस वक्त वहां एक उर्दू स्कूल हुआ करता था. जहां के बच्चों को खेलने के लिए मैदान नहीं था. दानदाताओं ने जिस जमीन को दान में दिया था, वह काफी उबर-खाबर और चट्टानों से पटा था. जमीन जमीन का समतलीकरण कराकर उसे खेल मैदान बनाने के लिए तत्कालीन विधायक गिरिनाथ सिंह ने पहल की थी. उन्होंने क्षेत्र के कनीय अभियंता को पत्र लिखकर जमीन का समतलीकरण कराने को कहा था, अपने विधायक मद से ₹165000 भी दिए थे. वहीं ग्रामीणों ने भी चंदा कर ₹500000 जमा किए, ताकि मैदान का सुंदरीकरण और समतलीकरण हो सके और यहां उनके बच्चे खेल सकें. ग्रामीणों और तत्कालीन विधायक गिरिनाथ सिंह के प्रयास से मैदान का समतलीकरण हुआ और एक अच्छा खेल मैदान बनकर तैयार हो गया.
इसी मैदान में उतरा था शिबू सोरेन का हेलीकॉप्टर, दानदाताओं को किया था सम्मानित
2014 में झारखंड के पूर्व मुख्यमंत्री और झामुमो सुप्रीमो शिबू सोरेन और दिवंगत खेल मंत्री हाजी हुसैन अंसारी हेलीकॉप्टर से गढ़वा पहुंचे थे. उनका हेलीकॉप्टर इसी मैदान में उतरा था. उस वक्त शिबू सोरेन और हाजी हुसैन अंसारी ने जमीन दाताओं को माला पहनाकर सम्मानित किया और जमीन दान देने के लिए उनकी प्रशंसा की थी.
मैदान बनने के बाद खोला गया उत्क्रमित प्लस-टू स्कूल
इसी मैदान को देखते हुए बांदू चुतरू गांव में उत्क्रमित प्लस-टू स्कूल खोला गया. साथ ही स्कूल में एक खेल शिक्षक को भी पदस्थापित किया गया, ताकि बच्चे खेल के क्षेत्र में भी निपुण हो सकें. वर्तमान में इस स्कूल में करीब 1200 बच्चे पढ़ते हैं. लेकिन कुछ दिनों से दानदाताओं की नियत जमीन को लेकर डोल गई और वह इस जमीन पर कब्जा करने में जुट गये. जिसको लेकर दानदाताओं ने विद्यालय प्रबंधन समिति के अध्यक्ष एवं स्कूल के शिक्षक पर गढ़वा न्यायालय में मुकदमा भी दर्ज करवाया था. हालांकि कोर्ट में विद्यालय में सुरक्षित दान की कागजी प्रक्रिया का दस्तावेज प्रस्तुत किया गया, जिसके बाद कोर्ट से दानदाताओं को हार मिली. इसके बाद दानदाताओं ने दबंगई दिखाते हुए स्कूल मैदान को ही जोत दिया.
मामले में क्या कहते हैं ग्रामीण
ग्रामीण अकबर अंसारी का कहना है कि दानदाताओं के द्वारा फिर से खेल मैदान पर हल चलाना सरासर गलत है. ऐसे लोगों पर कार्रवाई होनी चाहिए.
स्थानीय पंकज गुप्ता का कहना है कि खेल मैदान के लिए जमीन दान में देकर हल चलाना अन्याय है. ऐसा नहीं होना चाहिए.
स्थानीय भुजू भुईयां का कहना है कि अगर ऐसा ही करना था तो जमीन दान में क्यों दी. यह सरासर गलत है.
वहीं स्थानीय नथुनी राम का कहना है कि हम लोगों ने चंदा कर मैदान को खेलने लायक बनाया है, ताकि यहां बच्चे अपना भविष्य संवार सकें. दबंगई दिखाकर मैदान को जोतना सरासर गलत है.
क्या कहते हैं स्कूल के बच्चे
स्कूल के छात्र सूरज कुमार का कहना है कि आज जब स्कूल पहुंचा तो देखा कि खेल मैदान जोता हुआ है, अगर खेल मैदान नहीं रहेगा तो हमलोग कहां खेलेंगे.
रजिया खातून ने कहा कि इस तरह से खेल मैदान को जोतना सरासर गलत है. बच्चों के भविष्य के साथ खिलवाड़ क्यों किया दानदाताओं ने.
छात्रा रीता कुमारी का कहना है कि 8 किलोमीटर दूर से पैदल पढ़ाई करने स्कूल आते हैं. मुझे फुटबॉल खेलना बहुत पसंद है. आज जब स्कूल आई तो पता चला मैदान पर कब्जा करने की नियत से उसे जोत दिया गया है. अब हमलोग कहां खेलेंगे.
वहीं स्कूल के प्रभारी प्रधानाध्यापक अनिल कुमार पासवान का कहना है कि दानदाताओं के बच्चे भी इस स्कूल में पढ़ते हैं. लेकिन अमानवीय ढंग से खेल मैदान को जोत दिया गया, यह सरासर गलत है. 2018 से लेकर अब तक खेल मैदान को देखते आ रहा हूं. आज पहली बार किसी ने इस पर कब्जा की कोशिश की है. यह बच्चों के भविष्य के साथ खिलवाड़ है.
वहीं चुतरू पंचायत की पूर्व मुखिया राबिया तबस्सुम का कहना है कि उर्दू हाई स्कूल मैदान के समतलीकरण और सुंदरीकरण को लेकर ₹5 लाख रुपये की स्वीकृति दी थी, जो प्रबंध समिति के अध्यक्ष के जिम्मे दिया गया था, ताकि स्कूल मैदान का सुंदरीकरण हो सके.
चुतरू पंचायत के वर्तमान मुखिया खालिद अंसारी का कहना है कि जब हमें सूचना मिली कि स्कूल मैदान को जोता जा रहा है, तो तत्काल रंका थाना प्रभारी को सूचना दी गई. तत्काल चौकीदार के माध्यम से मैदान जोत रहे लोगों को वापस घर भेज दिया गया. उन्होंने कहा कि अगर जमीन दान में दी गई है और ऐसा किया जा रहा है, तो प्रशासन को तत्काल इस पर कानूनी कार्रवाई करनी चाहिए.
अंचलाधिकारी रंका को जांच का आदेश दिया गया है. जांच के बाद दोषी पाए जाने पर आरोपियों पर कानूनी कार्रवाई की जाएगी.
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