जेलों से जुर्म की सल्तनत चला रहे हैं गैंगस्टर्स, फिर भी प्रशासन चुप
झारखंड न्यूज: झारखंड के गैंगस्टर्स जेलों में रहकर जुर्म की सल्तनत चला रहे हैं। ये जेलों के भीतर ऐश की जिंदगी जी रहे हैं और बाहर इनके गुर्गे जीटी यानी गुंडा टैक्स वसूली से लेकर सुपारी किलिंग को बेखौफ अंजाम दे रहे हैं। रांची, धनबाद, जमशेदपुर, रामगढ़, पलामू, हजारीबाग सहित कई शहरों के कारोबारी, ठेकेदार, कोयला खनन कंपनियों के अफसर इनके सॉफ्ट टारगेट हैं। अब तो पुलिस और जेल एडमिनिस्ट्रेशन के अफसर भी इन गैंगस्टर्स के निशाने पर हैं।
सोमवार की रात रामगढ़ जिले के पतरातू में गैंगस्टर अमन साव के गुर्गों ने एटीएस के डीएसपी और एक दारोगा को गोली मार दी। दोनों का इलाज रांची प्राइवेट हॉस्पिटल में चल रहा है। अमन साव दुमका जेल में बंद है, लेकिन उसकी बादशाहत रांची-रामगढ़-लातेहार के कोयलांचल में बेखौफ चल रही है। उसके गुर्गे जैसे ही कोई वारदात अंजाम देते हैं, अमन साव का गैंग सोशल मीडिया पर अपडेट जारी कर उसकी जिम्मेदारी लेता है। बीते 7 जुलाई को इस गैंग ने रांची के अरगोड़ा चौक के पास एक कोयला कारोबारी रंजीत गुप्ता को उसके ऑफिस के बाहर गोली मारी। कुछ ही घंटों बाद अमन गैंग के मयंक सिंह ने सोशल मीडिया पर इसकी जिम्मेदारी ली।
उसने लिखा, “रंजीत गुप्ता को तो हमने मार ही दिया था। ईश्वर की कृपा से वह बच गया। जहां तक हमारा और हमारे बॉस (अमन साव) का कॉल जाता है, वहां तक हमारी गोली भी जाती है।” पुलिस ने मयंक सिंह नाम से चलने वाले सोशल मीडिया के अकाउंट की जांच कराई तो पता चला कि यह दुमका जेल के आस-पास के लोकेशन के फोन से चलाया जा रहा था। अमन साव दुमका जेल में ही बंद है। बीते मई महीने में हजारीबाग जिले के चट्टी-बारियातू में एनटीपीसी के लिए कोल माइनिंग का काम करने वाली ऋत्विक कंपनी के को-ऑर्डिनेटर शरत बाबू को भी अमन गिरोह के गुर्गों ने गोलियों से भून डाला था। कोल कंपनी से गिरोह ने करोड़ों की रंगदारी मांगी थी। मांग नहीं मानने पर यह वारदात अंजाम दी गई।
झारखंड पुलिस मुख्यालय के निर्देश पर एटीएस और पुलिस की टीम रामगढ़ जिले के पतरातू थाना क्षेत्र में सोमवार की रात अमन साव गिरोह के गुर्गों की तलाश में पहुंची थी। जानकारी मिली थी कि गिरोह के कुछ अपराधी यहां टिके हुए हैं। पुलिस जब मौके पर पहुंची तो अपराधियों ने ताबड़तोड़ फायरिंग कर दी, जिसमें डीएसपी नीरज कुमार और दारोगा सोनू कुमार साव बुरी तरह जख्मी हो गए। रांची में बीते पांच जुलाई को एक बड़े कारोबारी के अकाउंटेंट और मैनेजर के तौर पर काम करने वाले मनोज कुमार की हत्या दिनदहाड़े भीड़भाड़ वाले इलाके में की गई। पुलिस की तफ्तीश में खुलासा हुआ कि इस हत्या की प्लानिंग रांची के बिरसा मुंडा जेल में रची गई। जिन क्रिमिनल ने यह साजिश रची, उन्होंने करीब एक साल पहले बिल्डर कमल भूषण को भी गोलियों से भून डाला था।
जमशेदपुर में डॉन के नाम से जाना जाने वाला अखिलेश सिंह जेल में उम्र कैद की सजा काट रहा है, लेकिन उसके नाम पर लगातार रंगदारी की वसूली होती है। बीते नवंबर महीने में रांची के एक बिल्डर से उसके नाम पर एक करोड़ की रंगदारी मांगी गई थी। इसी तरह अमन सिंह नामक गैंगस्टर्स जेल में बंद रहकर भी धनबाद कोयलांचल में रंगदारी वसूली से लेकर फायरिंग-मर्डर तक की वारदात अंजाम देता है। दर्जनों वारदात में उसका नाम आया है। पुलिस ने उसके कुछ गुर्गों को गिरफ्तार भले किया है, लेकिन इससे गैंगस्टर की सेहत पर कोई असर नहीं पड़ा है।
अमन श्रीवास्तव, अनिल शर्मा, सुजीत सिन्हा, गेंदा सिंह, विकास तिवारी, लवकुश शर्मा जैसे गैंगस्टर भी झारखंड के अलग-अलग जेलों में बंद हैं, लेकिन उनके खौफ और आतंक का साम्राज्य बेखौफ चल रहा है। जेलों के भीतर गैंगस्टर्स द्वारा पार्टी करने के वीडियो और तस्वीरें वायरल हुई हैं। जांच में कई बार साबित हो चुका है कि अपराधी जेलों में मोबाइल का खुलेआम इस्तेमाल करते हैं।