झारखंड

गालूडीह : दीपावली में घरों को रोशन करने के लिए कुम्हारों की चाक की रफ्तार हुई तेज

Renuka Sahu
16 Oct 2022 4:30 AM GMT
Galudih: The speed of potters wheel accelerated to light up the houses in Diwali
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न्यूज़ क्रेडिट : lagatar.in

बड़ाखूर्शी पंचायत अंतर्गत पैरागुड़ी गांव के बिरिगोड़ा टोला व महुलिया पंचायत के बड़बिल गांव में बसे कुम्हार समाज के लोग दीपावली व छठ आते ही दीया बनाने में व्यस्त हो जाते हैं.

जनता से रिश्ता वेबडेस्क। बड़ाखूर्शी पंचायत अंतर्गत पैरागुड़ी गांव के बिरिगोड़ा टोला व महुलिया पंचायत के बड़बिल गांव में बसे कुम्हार समाज के लोग दीपावली व छठ आते ही दीया बनाने में व्यस्त हो जाते हैं. वहीं, इन दिनों ग्रामीण क्षेत्रों में कुम्हार के चाक तेजी से घूमने लगे हैं. दीया निर्माण कार्य चरम पर पहुंच चुका है. दीये, घड़े और फूलझड़ियां सहित विविध मिट्टी की वस्तुओं को बनाने का सिलसिला शुरू हो गया है. लेकिन महंगाई व चाक के मिट्टी की अनुपलब्धता कुम्हारों को काफी खल रही है. इस कार्य से जुड़े कुम्हार समाज के लोग दिन-रात एक कर दीपावली व छठ के लिए दीया सहित आवश्यक मिट्टी से जुड़े सामान बनाने में जुटे हुए हैं.

बिजली के झालरों व मोमबत्तियों ने ली दीयों की जगह
दीपावली करीब आते ही चौक-चौराहों के साथ मार्केट में मिट्टी से निर्मित दीये की दुकानें सजने लगी है. इस कार्य से जुड़े कई लोगों ने बताया कि आधुनिकता के इस दौर में अब पुरानी परंपरा व संस्कृति को छोड़ लोग फैंसी टुनी बल्ब व साज-सामान से पर्व-त्योहार मनाने लगे हैं. फलस्वरूप हम लोगों का रोजगार सालभर में 20-25 दिन ज्यादा तेज रहता है. दीपावली के पर्व में खास महत्व रखने वाले मिट्टी के दीयों को जलाने की परंपरा कम होती जा रही है. अब इनकी जगह बिजली के झालरों व मोमबत्तियों ने ले ली है. बिरिगोड़ा टोला निवासी श्यामा पदो भकत ने बताया कि क्षेत्र में बिजली के झालरों का प्रयोग बढ़ गया है. इससे मिट्टी के बर्तन बनाने वालों की आजीविका पर संकट के बादल मंडरा रहे हैं.
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