झारखंड

शिक्षा नीति में रचनात्मकता और नवाचार पर हो फोकस: डॉ प्रमोद राजपूत

Rani Sahu
12 Aug 2022 1:29 PM GMT
शिक्षा नीति में रचनात्मकता और नवाचार पर हो फोकस: डॉ प्रमोद राजपूत
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शिक्षा नीति में रचनात्मकता और नवाचार पर अधिक फोकस होना चाहिए.शिक्षकों को यह ध्यान रखना चाहिए कि वे विद्यार्थियों को इस प्रकार पढ़ाए कि विषय आसानी से उनकी समझ में आ जाये
Ranchi: शिक्षा नीति में रचनात्मकता और नवाचार पर अधिक फोकस होना चाहिए.शिक्षकों को यह ध्यान रखना चाहिए कि वे विद्यार्थियों को इस प्रकार पढ़ाए कि विषय आसानी से उनकी समझ में आ जाये, साथ ही शिक्षकों को हमेशा खुद को अपडेट करते रहना चाहिए. शुक्रवार को ये बातें डॉ प्रमोद कुमार राजपूत ने कहीं. वे आरकेडीएक्स ग्लोबल एडु समिट 2022 में बतौर मुख्य अतिथि बोल रहे थे. उन्होंने कहा कि शिक्षा मनुष्य के भीतर अच्छे और सार्थक विचारों का निर्माण करती है और मनुष्य के जीवन का मार्ग प्रशस्त करती है. समिट के आयोजक डॉ आरके दास ने कहा कि सभी शिक्षकों के लिए शिक्षक प्रशिक्षण अनिवार्य किया जाना चाहिए, ताकि वे विद्यार्थियों को बेहतर शिक्षण तकनीक के जरिये गुणवत्तापूर्ण शिक्षा दे सकें.कार्यक्रम का आयोजन होटल कैपिटल हिल में किया गया था.
कार्यक्रम में वरिष्ठ पत्रकार शंभुनाथ चौधरी ने कहा कि शिक्षा का मूल मकसद एक बेहतर इंसान गढ़ना है. उन्होंने कहा "होके मायूस यूं न शाम सा ढलते रहिए, जिंदगी भोर है, सूरज सा निकलते रहिए.एक ही पांव में ठहरोगे तो थक जाओगे, धीरे-धीरे ही सही राह पर चलते रहिए". उन्होंने कहा कि जीवन में तनाव स्वाभाविक है और इसे जीवन में आगे बढ़नेवाली ऊर्जा शक्ति के रूप में लेना चाहिए. कार्यक्रम में संतोष कॉलेज ऑफ टीचर ट्रेनिंग एंड एजुकेशन की डॉ शुभ्रा ठाकुर ने कहा कि जीवन में सफलता हासिल करने के लिए प्लान ए के साथ प्लान बी भी तैयार रखना चाहिए जिससे एक में विफलता मिलने पर दूसरे के साथ सफलता की राह तैयार की जा सके. उन्होंने कहा कि केवल अगली पंक्ति में बैठनेवाले छात्र ही नहीं बल्कि बैक बेंचर्स में भी अपार संभावनाएं होती हैं और जरूरत सिर्फ उन संभावनाओं की पहचान कर उसे प्रोत्साहित करने की है. कार्यक्रम में छात्रा बिंदेश्वरी ने कहा कि उन्हें आदिवासियत पर गर्व है और आदिवासी किसी से कम नहीं हैं. उन्हें दोयम दर्जे का नहीं समझा जाना चाहिए. कार्यक्रम में डॉ नाजिया अब्बास आबिदी ने कहा कि पैरेंट्स को अपने विचार बच्चों पर नहीं थोपना चाहिए और अपने शौक को ही पहचान बनानी चाहिए. उन्होंने कहा कि महेंद्र सिंह धौनी ने अपने शौक को ही अपनी पहचान बनायी और आज पूरा विश्व उन्हें जानता है. कार्यक्रम में सुधीर के, परमजीत कौर, मंजीत सिंह, सरिता पांडे, मनीषा धर, ज्योति ठाकुर, कमलेश्वर पोखरियाल, तनवीर इमाम, संजय जोसेफ, प्रफुल्ल कुमार गुप्ता, विकास पॉल, कामिनी कालरा, प्रीति मेहरोत्रा, मिस्टर तन्मय पांजा, प्रवजोत कौर, जसप्रीत कौर, इशिता, लखी तांती, पायल और सुनील मिंज ने भी अपने विचार रखे.समिट का प्रायोजक अमृता अमृता विश्व विद्यापीठम था.

सोर्स- News Wing

Rani Sahu

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