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रांची। गेतलसूद डैम में मछलियों की अचानक मौत की घटना के बाद, रविवार को मत्स्य विभाग की टीम ने जांच के लिए गेतलसूद पहुंची। टीम ने डैम से पानी और मृत मछलियों के सैंपल लिए। जांच के प्रक्रिया के दौरान, पानी में क्रोटिन की कोई खास रिपोर्ट नहीं मिली। जिला मत्स्य पदाधिकारी, डॉ. अरूप चौधरी, ने बताया कि प्राथमिक जांच से पता चला कि मछलियों की मौत का मुख्य कारण पानी में ऑक्सीजन की कमी थी।
डॉ. चौधरी के अनुसार, मछलियों को स्वस्थ रूप से रहने के लिए पानी में कुशल ऑक्सीजन की मात्रा आवश्यक होती है। पानी में ऑक्सीजन की मात्रा अच्छी तरह से बनी रहती है। अगर पानी में ऑक्सीजन की मात्रा कम हो जाती है, तो इससे मछलियों के लिए जोखिम बढ़ जाता है, और वे मर सकती हैं।
जांचकर्ताओं ने यह भी पता लगाया कि बॉक्स का आकार सौ स्क्वायर फीट होता है और उसकी गहराई 12 फीट होती है। इस आकार के बॉक्स में सात हजार तेलपिया मछलियों को रखा जा सकता है। यह स्पष्ट है कि केज के बॉक्स में मछलियों के लिए जगह कम हो गई थी, जिसके कारण मछलियों को सांस लेने में कठिनाई होने लगी और वे मर गई। इसके अलावा, गेतलसूद डैम में मत्स्य जीवी सहयोग समिति के कुल 24 केज हैं, जिनमें 8 केजों में मछलियों की मौत हुई है, जबकि इन केजों में तेलपिया और अन्य प्रजातियों की मछलियां होती हैं।
मत्स्य किसान भोला महतो ने बताया कि इस केज में मात्र 160 मछलियां होती हैं, जिससे यह सवाल उठता है कि ऑक्सीजन की कमी कैसे हो सकती है। इस परंपरागत जांच के बाद, रिपोर्ट सरकार को सौंपी जाएगी, और उसके बाद ही पूरी तरह से स्पष्ट होगा कि मछलियों की मौत के पीछे किन कारणों ने हाथ डाला।
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