झारखंड
किसान चिंतित, डैम में नहीं है पानी, फैक्ट्रियों पर भी पड़ेगा सुखाड़ का असर
Gulabi Jagat
28 July 2022 10:47 AM GMT

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इस वर्ष मानसून के दगा देने और बारिश कम होने से झारखंड के किसानों में खेती को लेकर चिंता की लकीरें साफ देखी जा सकती है. बोकारो में महज 10 प्रतिशत ही रोपनी हुई है, वो भी किसानों ने अपनी ओर से व्यवस्था की थी. अब परेशानी यह है की जिन खेतों में रोपनी हुई है, उस फसल को भी बचा पाना मुश्किल हो गया है. वहीं दूसरी ओर राज्य को इस वर्ष सुखाड़ घोषित करने की कवायद शुरू हो गई है. माना जा रहा है कि घोषणा भी हो जायेगी. लेकिन इस वर्ष मानसून की मार किसान को ही नहीं झेलना पड़ेगा इसका असर लोगों की जरूरत को पूरा करने वाली कई फैक्ट्रियों को भी झेलना पड़ेगा. जिसके बाद राज्य में कई प्रकार की समस्या उत्पन हो जायेगी. एग्रीकल्चर और ड्रिंकिंग वाटर की आने वाले समस्या की चिंता अब इस जलापूर्ति योजना के अधिकारियों को सताने लगी है. बोकारो तेनु डैम का प्रत्येक दिन जल स्तर खिसकते जा रहा है और इसका सीधा असर तेनु डैम के आसपास के रहने वाले लोगों को ही नहीं, बल्कि नदी के किनारे रहने वाले बोकारो से बंगाल तक के लोगों पर जहां आम आदमी के जिंदगी पर पड़ेगा.
फैक्ट्रियों पर भी पड़ेगा सुखाड़ का असर
सुखाड़ का असर फैक्ट्रियों पर भी सीधे पड़ेगा, जिसमें बोकारो लालपनिया थर्मल प्लांट, चंद्रपुरा डीवीसी, और बोकारो स्टील प्लांट को भी पड़ेगा. जो इसी डैम के पानी से बिजली तैयार कर कई राज्यों की बिजली आपूर्ति करता है. स्टील अथॉरिटी ऑफ़ इंडिया लिमिटेड के सेल के बोकारो इकाई पर उत्पादन पर भी और आवासीय कॉलोनी जो तेनु डैम पर ही पूरा बोकारो की कॉलोनी टिकी हुई है, उसको भी पानी का मार झेलना पड़ेगा.
7 दिन का समय काफी महत्वपूर्ण
देखा जाय तो इस डैम के जल स्तर कम होने की मार कई राज्यों को झेलना पड़ेगा. अगर इस वर्ष मानसून दगा देगा तो कई समस्याएं उत्पन्न होंगी तेनु डैम जलापूर्ति योजना के अधिकारियों की माने तो इस डैम से जुड़े लोगों का यह 7 दिन का समय काफी महत्वपूर्ण है. इन 7 दिन में कितना बारिश होगा, कितना पानी का लेवल बढ़ेग उस पर निर्भर है. जिस तरह से डैम का पानी कॉलोनियों में जलापूर्ति ठप हो जाएगा.
सोर्स: लगातार डॉट इन
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