झारखंड

तालाब सूखने के बाद आसमान देख रहे किसान

Admin4
17 July 2022 1:47 PM GMT
तालाब सूखने के बाद आसमान देख रहे किसान
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रांची. रांची में मानसून की दगाबाजी के कारण इस बार धान की खेती पर ग्रहण लगता नजर आ रहा है अगर 10 दिनों के अंदर लगातार बारिश नहीं हुई तो धान की खेती खेती बर्बाद हो सकती है. ऐसे में किसान अब आसमान की ओर देखने को मजबूर हैं. दरअसल रांची में इस बार मानसून रूठा नजर आ रहा है. ऐसे में खेती के भरोसे गुजर-बसर करने वाले किसानों की परेशानी बढ़ गई है.

रांची के सबसे बड़े धान की खेती करने वाले इलाके कांके प्रखंड के होचर में मानसून की इस बेरुखी से धान के बिचड़े बर्बाद हो चुके हैं. लिहाजा एक हजार एकड़़ से ज्यादा इलाके में धान की खेती पर ग्रहण लग गया है. हाल यह है कि होचर में सिंचाई की वैकल्पिक व्यवस्था को लेकर बने कुएं और तालाब भी पूरी तरह सूख चुके हैं. ऐसे में धान की खेती को लेकर किसानों की उम्मीद टूटती नजर आ रही है.

होचर गांव में खेतों के बीच कई कुएं और तालाब हैं, जहां से किसान सिंचाई की वैकल्पिक व्यवस्था करते हैं. लेकिन, इस बार मॉनसून में भी सभी कुएं और तालाब सूखे नजर आ रहे हैं. किसानों के पास बारिश के अलावा कोई दूसरी वैकल्पिक उम्मीद नहीं है. होचर में करीब दो एकड़ में धान की खेती करने वाले किसान मल्लू महतो बताते हैं कि इस बार खेती बर्बाद हो जाने से कर्ज का भार बढ़ जाएगा. क्योंकि बीच में सब्जी की खेती भी बर्बाद होने से कमाई ज्यादा नहीं हो पायी थी. वहीं पांच एकड़ में खेती करने वाले किसान भरत साहू की मानें तो अब बारिश के अलावा कोई दूसरा विकल्प नहीं है. ऐसे में बारिश नहीं हुई तो कर्ज चुकाने के साथ साथ घर बार चलाना भी मुश्किल हो जाएगा. यही हाल होचर के दूसरे किसानों का भी है. उनकी रोजी रोटी आसमान के बादलों में फंसी है.

सामान्य से बेहद कम हुई है बारिश

दरअसल इस बार मानसून में रांची समेत राज्यभर में सामान्य से बेहद काफी कम बारिश हुई है जो कि धान की खेती के लिए पूरी तरह पर्याप्त नहीं है. पिछली बार अच्छी बारिश की वजह से खेती भी बंपर हुई थी. लिहाजा इस बार होचर के किसानों ने बैंक से लोन और कर्ज लेकर बड़े उत्साह के साथ धान की खेती की तैयारी की थी. लेकिन, महज बादल दिखाने वाले आसमान ने खेती के भरोसे रहने वाले इस गांव को अब तक निराश किया है. किसानों की माने उनकी जिंदगी की तमाम जरूरतें खेती से ही पूरी होती है. ऐसे में खेतों में बर्बाद हो चुके धान के बिचड़े किसानों का हौसला तोड़ रहे हैं.

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