बगोदर,गिरिडीह: उत्तरी छोटानागपुर प्रमंडल (North Chotanagpur Division) का कोनार नहर सिंचाई परियोजना एक महत्वकांक्षी परियोजना (Konar canal in Giridih) है. नहर के निर्माण का उद्देश्य बंजर भूमि को हरा-भरा बनाने का है लेकिन 40 साल बाद भी यह उद्देश्य अधूरा है. बगोदर प्रखंड और आसपास के इलाकों में सावन महीने में भी कोनार नहर सूखा पड़ा है.
इस नहर से बंजर जमीन में हरियाली लाने की बात तो दूर मौसम की बेरूखी से मुरझा रहे धान, मकई, अरहर जैसे खरीफ फसलों के लिए खेतों में लगे पौधों को बचाने भर भी पानी नहर में नहीं है. इसको लेकर किसानों का कहना है कि कोनार नहर में पानी (bad condition of Konar canal) होता तब नहर और आसपास के इलाकों में पटवन कर खरीफ फसलों के पौधों को बर्बाद होने से बचाया जा सकता था. लेकिन नहर में पानी नहीं रहने से किसानों के पास कोई विकल्प ही नहीं है.
कोनार नहर में पानी छोड़ने की मांग तेजः मौसम की बेरुखी से सावन महीने में भी इलाके में धनरोपनी शुरू नहीं हुई है. क्योंकि इसके लिए खेतों में लगी धान का बिचड़ा ही तैयार नहीं हुआ है. खेतों में लगाए गए धान, मकई, अरहर के पौधे पानी के अभाव में दम तोड़ रहे हैं. इसे देखते हुए बगल से गुजर रही कोनार नहर पर लोगों की निगाहें टिकी हुई हैं पर नहर में पानी नहीं है. ऐसे में किसानों एवं पंचायत प्रतिनिधियों ने विभाग से नहर में पानी छोड़े जाने की मांग की है.
इसे लेकर बगोदर प्रखंड प्रमुख आशा राज और बरांय पंचायत के मुखिया राजेंद्र कुमार मंडल के द्वारा कोनार नहर बगोदर प्रमंडल के एई को मांग पत्र भी सौंपा गया है. जिसके माध्यम से नहर में पानी छोड़े जाने की मांग की जा रही है. इधर इस संबंध में कोनार नहर बगोदर प्रमंडल के एई अमीत कुमार ने कहा है कि किसानों और जनप्रतिनिधियों की मांगों को देखते हुए कोनार डैम से नहर में पानी छोड़ा गया है, धीरे-धीरे पानी नहर में आगे बढ़ रही है.
1978 में शुरू हुआ था निर्माण कार्यः किसानों को स्वावलंबी बनाने के उद्देश्य से एकीकृत बिहार के समय 1978 में योजना की शुरुआत हुई थी. बिहार के तत्कालीन राज्यपाल जगरनाथ कौशल के द्वारा परियोजना की आधारशिला रखी गई थी. निर्माण कार्य को पूरा करने के लिए 12 करोड़ रुपए की लागत तय की गई थी. वर्तमान में 2,176 सौ करोड़ रुपए खर्च होने की बात कही जा रही है. कोनार सिंचाई परियोजना दक्षिण दिशा से बहकर उत्तर की तरफ प्रवाहित होकर तीन जिलों में 62,895 हेक्टेयर जमीन सिंचित करेगी. जिसमें खरीफ फसल 49 हजार 270 एवं रबी फसल 13626 हेक्टेयर है. इसके लिए अंडरग्राउंड एवं ओपेन नहर का निर्माण किया गया है. बताया जाता है कि अंडरग्राउंड नहर की कुल लंबाई लगभग 6 किलोमीटर है, जबकि चौड़ाई साढ़े 6 मीटर और ऊंचाई भी साढ़े 6 मीटर है जबकि नहर की कुल लंबाई 404 किलोमीटर है.उद्घाटन के महज 16 घंटे में ही टूटा था तटबंधः इस बहुप्रतीक्षित कोनार नहर सिंचाई परियोजना का बड़े ही ताम-झाम के साथ सूबे के तत्कालीन सीएम रघुवर दास द्वारा 28 अगस्त 2019 को उद्घाटन किया गया था. लेकिन उद्घाटन के महज 16 घंटे के अंदर 28 अगस्त को रात्रि डेढ़ बजे के करीब नहर का तटबंध टूट गया. बगोदर प्रखंड के कुसमरजा पंचायत के घोसको के पास कोनार नहर का तटबंध टूट गया था. जिस जगह नहर का तटबंध टूटा था वह डुमरी डिवीजन में पड़ता है. जिस जगह तटबंध टूटा था वहां कच्चा तटबंध था और आज भी आसपास के कई किमी तक नहर का तटबंध कच्चा ही है. कच्चा नहर का तटबंध टूटने से नहर का पानी खेतों में तेज धार के साथ बहकर चले जाने से खेतों में लगे धान और मकई की फसलों को भारी नुकसान पहुंचा था.40 साल बाद नहर का उद्घाटन होने से क्षेत्र के किसानों में खुशी की लहर थी. लेकिन घोसको, बरवाडीह, प्रतापपुर, खटैया गांव के किसानों के लिए महज कुछ ही घंटे बाद ही निराशा में बदल गई. इन गांवों के सैकड़ों एकड़ खेतों में सैकड़ों किसानों के लगे धान व मकई सहित अन्य तरह की फसलों को भारी नुकसान पहुंचा था. हालांकि बाद में टेंडर निकालकर टूटे गए नहर के तटबंध की मरम्मती का कार्य पूरा कर लिया गया था.