झारखंड

अफीम माफिया की हर चालबाजी कैमरे में होगी कैद, खेतों की ड्रोन से निगरानी करेगी पुलिस

Shantanu Roy
14 Nov 2021 7:20 AM GMT
अफीम माफिया की हर चालबाजी कैमरे में होगी कैद, खेतों की ड्रोन से निगरानी करेगी पुलिस
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जिले में बड़े पैमाने पर अवैध अफीम की खेती (Illegal Opium Cultivation) की जाती है. इस अवैध खेती पर नकेल कसने के लिए चतरा पुलिस ने अनोखी पहल की है.

जनता से रिश्ता। जिले में बड़े पैमाने पर अवैध अफीम की खेती (Illegal Opium Cultivation) की जाती है. इस अवैध खेती पर नकेल कसने के लिए चतरा पुलिस ने अनोखी पहल की है. अब चतरा पुलिस, जिला प्रशासन और सीआरपीएफ के सहयोग से अवैध अफीम की खेती पर ड्रोन से निगरानी रखेगी. पुलिस अधीक्षक राकेश रंजन (Superintendent of Police Rakesh Ranjan) के निर्देश पर पहाड़ी इलाके में पुलिस ने ये अनोखा कदम उठाया है.

निगरानी के लिए जिले के वैसे क्षेत्रों को चिन्हित किया गया है, जहां पहले अफीम की खेती हो रही थी. इसके साथ ही पहाड़ी और जंगली इलाकों के साथ साथ नक्सल गतिविधियों वाले इलाके को भी चयनित किया गया है. इन इलाकों को स्थानीय थाने की पुलिस और सीआरपीएफ की जवान मिलकर ड्रोन कैमरा के माध्यम से निगरानी करेंगे. ड्रोन कैमरे में अफीम की खेती नजर आई, तो तत्काल खेती को नष्ट किया जाएगा. इसके साथ ही उस क्षेत्र के जनप्रतिनिधि, चौकीदार और वन विभाग के संबंधित कर्मियों के विरुद्ध कानूनी करवाई भी की जाएगी.
जवानों को दी गई ट्रेनिंग
एसपी राकेश रंजन ने बताया कि पुलिस प्रतिबंधित मादक पदार्थों की तस्करी और खेती पर नकेल कसने को लेकर पूरी तरह मुस्तैद है. अफीम की खेती रोकने के लिए जिला पुलिस और सीआरपीएफ मिलकर अभियान चला रही है. इस अभियान के लिए बड़ी संख्या में ड्रोन कैमरे की खरीदारी की गई है. एसपी ने बताया कि पुलिस पदाधिकारियों के साथ साथ जवानों को ड्रोन संचालन की ट्रेनिंग दी गई है.
नक्सल प्रभावित इलाकों में अफीम की खेती
जंगलों और पहाड़ों से घिरे जिले के हंटरगंज, प्रतापपुर, कुंदा, लावालौंग, सिमरिया, पत्थलगड़ा, गिद्धौर, राजपूर और चतरा सदर प्रखंड के ज्यादातर ग्रामीण इलाके नक्सल प्रभावित है. इस क्षेत्रों में नक्सलियों के सहयोग से तस्कर अफीम की खेती और तस्करी करते है.


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