झारखंड

हर माह बैठकर 25 लाख वेतन उठा रहे कर्मी, यहां जिंदा आदमी तो दूर, लाशें भी सुरक्षित नहीं

Rani Sahu
14 Aug 2022 5:21 PM GMT
हर माह बैठकर 25 लाख वेतन उठा रहे कर्मी, यहां जिंदा आदमी तो दूर, लाशें भी सुरक्षित नहीं
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जब पूरा देश आजादी के अमृत महोत्सव के जश्न में सराबोर है, पश्चिमी सिंहभूम जिला स्थित बड़ा जामदा का यह केंद्रीय अस्पताल अपनी बदहाली की कहानी कह रहा है
Sanjay Prasad
Jamshedpur : जब पूरा देश आजादी के अमृत महोत्सव के जश्न में सराबोर है, पश्चिमी सिंहभूम जिला स्थित बड़ा जामदा का यह केंद्रीय अस्पताल अपनी बदहाली की कहानी कह रहा है. 44 साल पुराने इस केंद्रीय चिकित्सालय का तत्कालीन श्रम राज्य मंत्री लारंग साई ने उद्घाटन किया था. जमशेदपुर से 138 किलोमीटर दूर स्थित यह अस्पताल इस कदर जर्जर और खंडहर हो गया है कि यहां पर जिंदा आदमी का इलाज तो दूर, मृतक भी सुरक्षित नहीं है. अस्पताल में न तो बिजली-पानी की व्यवस्था है और न ही ढांचागत संरचना दुरुस्त है. अस्पताल के कल्याण प्रशासनिक पदाधिकारी उदय शंकर कुमार कहते हैं – हम दूसरों का इलाज क्या कर पायेंगे, यहां खुद को बचाये रखना मुश्किल है. हर पल मौत के साये में हम रहते हैं. लंबे समय से मोबाइल और आईपीडी का इलाज नहीं हो रहा है. पिछले 4 महीने में ओपीडी में मुश्किल से सौ मरीजों का इलाज हो पाया है. दवा नहीं मिलती. डॉक्टर नहीं है. बिजली बहुत कम रहती है, बावजूद 30 हजार से ऊपर का मासिक बिल आ जाता है. 20 से ज्यादा स्टॉफ पर हर माह 25 लाख रुपये वेतन पर खर्च होते हैं, जबकि अस्पताल का कोई आउटपुट नहीं है. हम खुद की नौकरी को जस्टिफाई नहीं कर पा रहे हैं और एक तरह से बैठकर पैसे ले रहे हैं. वरीय पदाधिकारियों से शिकायत करने पर कोई सुनवाई नहीं होती.
Rani Sahu

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