झारखंड

झारखंड के तीन बड़े राजनेता की हत्या के डेढ़ दशक बाद भी आरोपियों को सजा नहीं दिला पायी केंद्रीय जांच एजेंसियां

Kunti Dhruw
21 Feb 2022 7:48 AM GMT
झारखंड के तीन बड़े राजनेता की हत्या के डेढ़ दशक बाद भी आरोपियों को सजा नहीं दिला पायी केंद्रीय जांच एजेंसियां
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झारखंड के तीन बड़े राजनेता जिनकी हत्या के डेढ़ दशक बीत जाने के बाद भी आरोपियों को सजा नहीं मिल पायी है.

झारखंड के तीन बड़े राजनेता जिनकी हत्या के डेढ़ दशक बीत जाने के बाद भी आरोपियों को सजा नहीं मिल पायी है. तीनों मामले की जांच केंद्रीय जांच एजेंसियां कर रही है. इन राजनेताओं में तमाड़ के तत्कालीन विधायक रमेश सिंह मुंडा, जमशेदपुर के तत्कालीन सांसद सुनील महतो और बगोदर के तत्कालीन विधायक महेंद्र सिंह शामिल है. इन सभी राजनेताओं की हत्या नक्सलियों ने की थी. इन सभी मामले की जांच सीबीआई और एनआईए जैसी जांच एजेंसियां कर रही है.

रमेश सिंह मुंडा हत्याकांड की जांच एनआईए कर रही
नौ जुलाई 2008 को बुंडू के एसएस हाई स्कूल में एक समारोह के दौरान तमाड़ के तत्कालीन विधायक रमेश सिंह मुंडा सहित चार लोगों की हत्या कर दी गई. इसके बाद रांची पुलिस ने कुछ दिनों तक पूरे मामलों की जांच की. बाद में यह मामला सीआइडी को स्थानांतरित हो गया था. इस मामले में सीआइडी के हाथ खाली रहे थे. जिसके बाद एनआइए ने 28 जून 2017 को उक्त मामले को टेकओवर कर कांड संख्या 11/2017 दर्ज किया, जिसमें प्राथमिकी दर्ज कर राष्ट्रीय जांच एजेंसी पूरे मामले की पड़ताल कर रही है. इस मामले में एनआईए तीन अप्रैल 2018 को पूर्व मंत्री राजा पीटर, कुख्यात नक्सली कुंदन पाहन व विधायक के अंगरक्षक शेष नाथ खरवार सहित 15 अभियुक्तों पर चार्जशीट दाखिल की थी. प्रधान न्यायायुक्त सह एनआइए के विशेष न्यायाधीश नवनीत कुमार की अदालत में दाखिल आरोप पत्र में एनआइए ने राजा पीटर को इस कांड का मुख्य साजिशकर्ता बताया था. इस मामले में एनआईए ने किसी भी आरोपियों को सजा नहीं दिला पायी है.
महेंद्र सिंह हत्याकांड में CBI जांच की गति बेहद धीमी
गिरिडीह जिले के बगोदर के तत्कालीन विधायक महेंद्र सिंह हत्या की जांच की गति बेहद धीमी है. इस मामले में 75 लोगों को गवाह बनाया गया है, लेकिन मामले की जांच कर रही सीबीआइ 17 साल में केवल 18 गवाहों की ही गवाही करा पायी है. कोई चश्मदीद गवाह भी अब तक कोर्ट में पेश नहीं किया जा सका है.
बता दें कि नक्सलियों ने 16 जनवरी 2005 को महेंद्र सिंह की हत्या कर दी थी. उस दिन वे चुनावी दौरे के क्रम में सरिया थाना क्षेत्र के दुर्गी धवैया से लौट रहे थे. 27 फरवरी 2005 को इस हत्याकांड की जांच सीबीआइ लखनऊ क्राइम ब्रांच ने शुरू की. सीबीआइ ने 22 दिसंबर 2009 को पहली चार्जशीट दायर की. 16 दिन बाद यानी सात जनवरी 2010 को सीबीआइ टीम ने इस मामले में दूसरी चार्जशीट दायर की. 19 सितंबर 2011 को इस मामले में सीबीआइ के विशेष कोर्ट में आरोप गठन हुआ. इसके बाद ट्रायल शुरू हुआ. अभी गवाही की प्रक्रिया चल रही है.
सूत्रों के अनुसार, 18 फरवरी 2022 तक सीबीआइ की तरफ से विशेष न्यायालय में केवल 18 गवाहों की गवाही करायी जा सकी है. अब भी 57 की गवाही बाकी है. अंतिम गवाही 16 सितंबर 2019 को हुई थी. इसके बाद पिछले दो वर्ष से अधिक समय के दौरान कोई गवाह नहीं पेश किया जा सका. इस मामले में किसी आरोपियों को सजा नहीं सुनाई गई है.
सांसद सुनील महतो हत्या मामले में 15 साल बाद भी सीबीआई जांच अधूरी
जमशेदपुर के पूर्व सांसद सुनील महतो को 4 मार्च 2007 की शाम नक्सलियों ने घाटशिला के बाघुड़िया गांव में होली के दिन गोली मारकर हत्या कर दी गयी थी. इस हत्याकांड के 15 साल बाद भी सीबीआई जांच पूरी नहीं हो पायी है. हत्या का सूत्रधार कौन है, उस तक अब तक सीबीआई नहीं पहुंच पायी है. हत्या के पीछे क्या राजनीतिक साजिश थी, नक्सलियों को सुपारी किलर की तरह उपयोग किया गया, इन सब बिंदुओं पर सीबीआई अब तक जांच कर चुकी है. कुछ लोगों से कई राउंड की पूछताछ भी हो चुकी है, लेकिन नतीजा कुछ सामने नहीं आया है.
गौरतलब है कि इस हत्याकांड में शामिल नक्सली विकास महतो को डुमरिया के भीतर आमदा ग्रामीणों ने जहर खिलाकर मार डाला था. उसके पास से सांसद के बॉडीगार्ड से लूटी गई इंसास राइफल भी बरामद हुई थी. जबकि हत्या में शामिल नक्सली राहुल उर्फ रंजीत पाल ने बंगाल पुलिस के समक्ष सरेंडर कर चुका है. उन्हें भी पूछताछ के लिए सीबीआई ने रिमांड पर नहीं लिया.
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