Ranchi: कांके के बिरसा कृषि विश्वविद्यालय में "कृषि अपशिष्ट से सुरक्षित बायोडिग्रेडेबल पैकेजिंग सामग्री" विषय पर कार्यक्रम का आयोजन किया गया. यूनिवर्सिटी पुत्रा मलेशिया के बायोकंपोजिट प्रौद्योगिकी प्रयोगशाला के वरिष्ठ प्रोफेसर डॉ मोहम्मद जावेद ने प्लास्टिक के विकल्प के रूप में गेहूं के भूसे, चावल के छिलके, गन्ना की खोई और आयल पाम अपशिष्ट से पैकेजिंग सामग्री तैयार करने पर जोर दिया. उन्होंने कहा कि शहरों में हर जगह प्रयुक्त प्लास्टिक का ढेर लगा है जो अन्ततः नालों, नदियों, समुद्र को दूषित करते हैं तथा जानवरों के लिए भी जानलेवा साबित होते हैं. सड़ने में सैकड़ों वर्ष लेने वाले प्लास्टिक समुद्री पर्यावरण, जल स्रोतों और पशु-पक्षियों पर बहुत ही नकारात्मक प्रभाव डालते हैं. भारत में प्रतिवर्ष 20 गायों की मृत्यु पॉलिथीन उपभोग के कारण हो जाती है. भारत की तर्ज पर अन्य कई देशों में सिंगल यूज प्लास्टिक पर पूर्ण प्रतिबंध लगाने की योजना बन रही है.