झारखंड

रांची के बिरसा जू में बाघों की संख्या बढ़ाने की कोशिश जारी

Ritisha Jaiswal
29 July 2022 12:25 PM GMT
रांची के बिरसा जू में बाघों की संख्या बढ़ाने की कोशिश जारी
x
अंतर्राष्ट्रीय बाघ दिवस पर रांची के बिरसा जू में बाघों की दहाड़ का अलग अंदाज नजर आ रहा है.

अंतर्राष्ट्रीय बाघ दिवस पर रांची के बिरसा जू में बाघों की दहाड़ का अलग अंदाज नजर आ रहा है. बाघ हमारे इकोसिस्टम के लिए कितना जरूरी है, इसको समझाने को लेकर बिरसा जू में कई कार्यक्रमों का आयोजन किया जा रहा है. आपको बता दें कि बिरसा जू में वर्तमान में कुल 9 टाइगर हैं, जिसमें सात मादा और दो नर बाघ शामिल हैं. अंतर्राष्ट्रीय बाघ दिवस पर बिरसा जू में बाघों की देखरेख और उनकी ब्रीडिंग को लेकर कई उपाय भी किए जा रहे हैं. बिरसा जू महज कहने को चिड़ियाघर है, लेकिन यहां का वातावरण कुदरती रूप से घनघोर जंगल का एहसास कराता है. ऐसे में बिरसा जू के जंगली जानवर जानवरों को बिरसा जू बिल्कुल अपने घर जैसा लगता है. शायद यही वजह है कि बिरसा जू में प्रजनन को लेकर अब तक के तमाम प्रयास सफल होते रहे हैं.

विश्व बाघ दिवस पर बिरसा जू में एक बार फिर रौनक देखने को मिली. खासकर बाघिन अनुष्का अपने बाड़े में पांच बच्चों के साथ नजर आयी. हालांकि दो मादा सरस्वती और लक्ष्मी के वयस्क होने पर उन्हें अलग अलग बाड़े में रखा गया है. जो भी पर्यटक बच्चों के करीब पहुंचने की कोशिश करता है. मां अनुष्का उस समय दहाड़ उठती है.
बिरसा जू के चिकित्सक डॉ. ओमप्रकाश साहू ने बताया कि बाघों की देखभाल के साथ साथ चिड़ियाघर में उनके प्रजनन पर भी जोर दिया जा रहा है. हाल ये है कि बिरसा जू में अब जगह की कमी होने लगी है. क्योंकि बाघों को खुलेपन में रहने की आदत है. दरअसल बाघ एकांत में रहना पसंद करते हैं. वह साथ रहना तभी पसंद करते हैं जब प्रजनन के लिए नर मादा एकसाथ समय गुजारने के लिए तैयार हो जाएं.
विश्व बाघ दिवस पर रांची के ओरमांझी स्थित बिरसा जू में एक अनूठा कार्यक्रम आयोजित किया गया. इस कार्यक्रम के तहत आयोजित क्विवज प्रतियोगिता में सरकारी स्कूलों के ऐसे छात्रों ने शिरकत की. जिनकी रुचि वाइल्ड लाइफ में रही है. बच्चों को पहले बाघों के बारे में विस्तृत जानकारी दी गयी. उसके बाद बच्चों को बाघों से संबंधित प्रश्रपत्र दिए गये. इस अनोखी क्विज प्रतियोगिता के दौरान बच्चे भी खासे उत्साहित नजर आये.
बिरसा जू के बायोलॉजिस्ट विवेकानंद ने बताया कि बाघ की उम्र उसके नाक के गुलाबीपन से पकड़ी जाती है. साथ ही बाघ के शरीर के धारीपन से उनके अलग होने की पहचान होती है. बाघ दिवस पर कई सरकारी स्कूलों के बच्चों ने क्विज प्रतियोगिता में भाग लिया.


Ritisha Jaiswal

Ritisha Jaiswal

    Next Story