झारखंड

ई-कचरा ने 10 साल में तीन गुना बढ़ाया वायु प्रदूषण

Admin Delhi 1
31 July 2023 11:45 AM GMT
ई-कचरा ने 10 साल में तीन गुना बढ़ाया वायु प्रदूषण
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जमशेदपुर: भारत में ई-कचरे के कारण वायु प्रदूषण का स्तर 10 साल में तीन गुना बढ़ गया है. इसका खुलासा जमशेदपुर के बर्मामाइंस स्थित राष्ट्रीय धातु कर्म प्रयोगशाला (एनएमएल) की रिपोर्ट से हुआ है, जिसमें बताया गया कि यह कैंसर व अन्य गंभीर बीमारियों का कारण बन रहा है.

इस कचरे को न नदी में बहा सकते हैं और न ही जमीन में दबा सकते हैं. इसे जला भी नहीं सकते, क्योंकि इसके जलने पर जहरीली गैस निकलती है, जिससे वायु प्रदूषण होता है. हर साल करोड़ों टन ई-कचरा जमीन पर पड़ा रहता है और पर्यावरण को नुकसान पहुंचाता रहता है. इसके अलावा ई-कचरा से रिसाइकिलिंग के बाद आर्सेनिक, बेरियम, कोबाल्ट, निकेल, क्रोमियम, कैडमियम, जस्ता जैसे जहरीले पदार्थ निकलते हैं, जो अगर जमीन के भीतर या बाहर यो ही छोड़ दिए जाएं तो पर्यावरण और जीवन को इतना नुकसान पहुंचा सकते हैं, जिसकी कल्पना भी नहीं की जा सकती. हैरत की बात यह है कि जहरीले ई-कचरे को ठिकाने लगाने की भी हमारे देश में कोई सुनिश्चित वैज्ञानिक पद्धति नहीं है.

उत्पादक और ग्राहक को नियम की जानकारी नहीं रिपोर्ट के अनुसार, यूरोप में जब यह खतरा बढ़ने लगा, तब वहां की सरकार ने एक कानून बनाया कि ई-कचरा हर हाल में उत्पादक कंपनी को वापस लेना होगा और उसके एवज में ग्राहक को उचित मूल्य चुकाना होगा. सरकार ने ई-कचरा के डिस्पोजल की जिम्मेदारी उत्पादक पर डाल दी. भारत में भी इस तरह का कानून है, लेकिन इसकी जानकारी न उत्पादक के पास है, न ग्राहक के पास. जानकारी के अभाव में यह तय कर पाना मुश्किल होता जाता है कि ई-कचरे का डिस्पोजल किसे करना है. भारत में ई-कचरा को डंप कर नष्ट करने की कोई समुचित व्यवस्था नहीं है, जबकि विदेशों में ई-कचरे के डिस्पोजल के लिए वैज्ञानिक व्यवस्था सुनिश्चित की गई है.

भारत सरकार ने वर्ष 2011 में बनाया था नियम भारत सरकार ने 2011 में ई-कचरे के बढ़ते खतरे के मद्देनजर ई-कचरे के मैनेजमेंट और हैंडलिंग के लिए नियम बनाए और उन्हें लागू भी किया, लेकिन नियमों के पालन में सख्ती न बरते जाने के कारण किसी ने इसे गंभीरता से नहीं लिया. नतीजतन ई-कचरा यत्र-तत्र सर्वत्र फेंका जा रहा है.

एक टन ई-कचरे से निकल सकता है 350 ग्राम सोना

भारत में ई-कचरा डिस्पोजल की कोई व्यवस्था अबतक नहीं की गई है. यह खतरा अब भी स्टोर्स या घरों के अंधेरे में कैद रहता है. ई-कचरे के बढ़ते संकट को देखते हुए झारखंड के जमशेदपुर स्थित राष्ट्रीय धातुकर्म प्रयोगशाला के धातु निष्कर्षण विभाग ने ई-कचरे में छिपे सोने को खोजने की सस्ती तकनीक खोज ली है. इसके माध्यम से एक टन ई-कचरे से 350 ग्राम सोना निकाला जाता है.

ई-कचरा निष्पादन भी हो रहा

कई संस्थाओं ने ई-कचरा निष्पादन के लिए अलग-अलग जगहों पर केंद्र बना रखी है. हालांकि इस मामले में लोगों के बीच जागरूकता फैलाई जा रही है, ताकि वे ई-कचरा केंद्र पर जाकर फेंके.

- जितेंद्र कुमार सिंह, रीजनल अफसर, प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड

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