झारखंड

Chandil में डायरिया का प्रकोप, हालत गंभीर, नहीं पहुंचे चिकित्सक

Tara Tandi
23 Sep 2024 6:57 AM GMT
Chandil में डायरिया का प्रकोप, हालत गंभीर, नहीं पहुंचे चिकित्सक
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Chandil चांडिल : ईचागढ़ प्रखंड के देवलटांड में डायरिया का प्रकोप है. मुखिया विपिन सिंह मुंडा समेत गांव के लगभग एक दर्जन से अधिक लोग डायरिया की चपेट में आ चुके हैं. वर्तमान में गांव की स्थिति गंभीर बनी हुई है. इलाजरत सभी मरीज खतरे से बाहर हैं. लेकिन, गांव में डायरिया का प्रकोप होने के कारणों का पता लगाया जा रहा है. हालांकि, इसकी बड़ी वजह दूषित पानी और गंदगी को माना जा रहा है. बहरहाल, देवलटांड़ में डायरिया फैलने के बाद संबंधित मौन धारण किए हुए हैं. डायरिया का प्रकोप रोज बढ़ते रहने के कारण गांव में भय का माहौल व्याप्त है.
लोगों ने तत्काल शिविर लगाकर लोगों को स्वास्थ्य सुविधा उपलब्ध कराने की मांग की है. गांव में ब्लीचिंग व डीडीटी का छिड़काव करने की भी मांग की गई है. वहीं ग्रामीण गांव के चापाकलों के पानी की जांच कराने की मांग कर रहे हैं. गांव में लगाए गए सोलर पानी टंकियों की भी सफाई कराने की मांग हो रही है. दूषित पानी से भी बीमारी बढ़ने की आशंका है.
तीन का रिम्स में चल रहा इलाज
क्षेत्र में इलाज की सुविधा नहीं रहने के कारण इनमें से आधे से अधिक का इलाज क्षेत्र से बाहर चल रहा है. डायरिया से पीड़ित देवलटांड पंचायत के मुखिया का इलाज सिल्ली के पास सिंहपुर में चल रहा है. जबकि गांव के मुकेश प्रमाणिक, गीता देवी मुंडा, संजय प्रमाणक का इलाज रिम्स, रांची में चल रहा है. वहीं गांव के दुर्गा महतो व उनकी पत्नी, सुरेश महतो, संपत्ति देवी आदि काे इलाज के लिए पातकुम स्थित सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र ईचागढ़ भेजा गया है.
डायरिया पीड़ितों की संख्या रोज बढ़ रही है. सोमवार की सुबह भी संजय प्रमाणिक नामक बच्चा डायरिया की चपेट में आ गया. डायरिया के लक्षण दिखाई देते ही परिजन उसे इलाज के लिए तत्काल रांची ले गए. इसके अलावा कई लोग स्वस्थ भी हो चुके हैं. डायरिया का प्रकोप फैलने के बाद भी गांव की स्वास्थ्य व्यवस्था नर्स के हाथों में है. सरकारी नर्स गांव में सुबह 10 से शाम चार बजे तक मरीजों की खोज करने के साथ इलाज भी कर रही हैं. अब तक गांव में सरकारी चिकित्सक नहीं पहुंचे हैं.
ओडीएफ गांव है देवलटांड़
देवलटांड़ में डायरिया फैलने के बाद खुले में शौच मुक्त और लोगों को स्वच्छ पेयजल आपूर्ति कराए जाने के सरकार व प्रशासन के सारे दोवों की पोल खुल रही है. डायरिया फैलने की मुख्य वजह खुले में शौच, दूषित भोजन व पेयजल को माना जाता है. विश्व स्वास्थ्य संगठन और यूनिसेफ के आंकड़ों के अनुसार भारत की ग्रामीण आबादी का कम से कम एक छठा हिस्सा अब भी खुले में शौच करता है और एक चौथाई के पास स्वच्छता की बुनियादी सुविधाएं तक नहीं है.
वास्तविकता यह है कि खुले में शौच बंद नहीं हुआ है और अभी भी यह काफी हद तक प्रचलित है. अब समय आ गया है कि देवलटांड के ग्रामीण अपने मील के पत्थर ओडीएफ का पुनर्मूल्यांकन करें, ताकि गांव में किसी प्रकार की महामारी दोबारा नहीं हो. बताया जा रहा है कि गांव की मुख्य सड़क पर जगह-जगह गंदगी का अंबार लगा रहता है. प्रशासन और स्वास्थ्य विभाग को इस मामले में संज्ञान लेना चाहिए नहीं तो गांव में स्थिति भयावह हो सकती है. ़
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