राँची: झारखंड के विभिन्न सदर अस्पतालों में पीपीपी मोड पर डायलिसिस सेवा देने वाली कंपनी मेसर्स एस्केग संजीवनी प्राइवेट लिमिटेड पर परिजनों ने अनियमितता के आरोप लगाए हैं. देवघर सदर अस्पताल में अपनी मां का डायलिसिस कराने वाले नीतिश ने स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों को पत्र लिखकर इसकी शिकायत की है.
उन्होंने अपनी शिकायत में कहा कि मेरी 70 वर्षीय मां रागिनी देवी का डायलिसिस देवघर सदर अस्पताल में होता था. वहां डायलिसिस करवाने पर उनकी मां की स्थिति काफी बिगड़ गई. जिसके बाद पटना में नेफ्रोलॉजिस्ट से इलाज के लिए पहुंचे. इस दौरान नेफ्रोलॉजिस्ट ने कहा कि जिस सेंटर में डायलिसिस होता था, वहां पर एक ही डायलेजर ट्यूब से 10 लोगों का डायलिसिस किया जाता है, जिस कारण समस्या हुई. उन्होंने एस्केग संजीवनी पर अनियमितता को लेकर जांच की मांग भी की है. उन्होंने यह भी आरोप लगाया कि डायलिसिस यूनिट में महिला मरीजों को अटेंड करने के लिए कोई भी महिला नर्स नहीं है. एमओयू में साफ शब्दों में उल्लेख किया गया था कि जीएनएम स्टाफ की उपलब्धता होनी चाहिए. वहीं, बायोमेडिकल वेस्ट के निष्पादन का कोई प्रावधान नहीं है. डायलिसिस के दौरान निकलने वाले मेडिकल वेस्ट यूनिट में पड़ा रहता है, जबकि एमओयू में उल्लेख है कि एजेंसी को बायोमेडिकल कंपनी के साथ रजिस्टर्ड होना चाहिए. डायलाइजर को 10 बार इस्तेमाल किया जाता है, लेकिन डायलाइजर की गुणवत्ता जांचने वाली डायलाइजर रिप्रोसिंग मशीन किसी भी यूनिट में उपलब्ध नहीं है.