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मेजर हत्या में हो चुकी है सजा
झारखण्ड कतरास छाताबाद निवासी नसीम अंसारी ने पुलिस को बताया कि वह पहले वासेपुर के गैंगस्टर फहीम खान का लोहा स्क्रैप के ऑक्शन कारोबार के लोडिंग में मुंशी था. वर्ष 2008 में पड़ोस के फिरोज अंसारी की गोली मार कर हत्या कर दी गई. इसके बाद धनबाद जेल में चार साल तक रहा. फिर 20 साल कैद की सजा हो जाने के बाद उसे हजारीबाग जेल में शिफ्ट कर दिया गया. वर्ष 2015 में पेरोल पर बाहर आया और भाग कर दिल्ली चला गया. वहां बैग बनाने वाली फैक्ट्री में काम करने लगा. इसके बाद 2021 में अपनी ससुराल साउथ आसनसोल मकु मुहल्ला रेलपार में छिप कर रहने लगा. वहां नाम बदल कर नसीम से रजी अहमद कर लिया. इसी नाम से आधार कार्ड भी बना लिया.
नाम बदलने में माहिर है मेजर नसीम नाम बदलने में माहिर है. पुलिस को पता चला है मेजर और रजी के अलावा उसने अपना नाम रॉकी, और सूरज भी रखा था. उसने पुलिस को बताया कि 2021 में वह राधानगर नियामतपुर निवासी शंकर साव के साथ और सतीश हत्याकांड के आरोपी बलियापुर निवासी उत्तम महतो के साथ मिल कर प्रिंस के लिए कोयले का काम करता था. शंकर साव भी सतीश हत्याकांड का फरार आरोपी है.
विकास अभी तक मेजर को दे चुका है 17 लाख मेजर ने बताया कि गोविंदपुर बहादुरपुर में बंटी सिंह के घर, तोपचांची शान-ए-पंजाब, माही होटल, गोविंदपुर बिहारी लाल चौधरी के प्रतिष्ठान, खालसा होटल सहित अन्य जगहों पर बम और गोली चलाई है. हर घटना के लिए विकास सिंह ने अपने लड़कों से विशेष कोड के जरिए हथियार, गोली और बम दिलाया. कांड के बाद प्रिंस के कहने पर विकास ने उसे बुला कर अब तक करीब 17 लाख रुपए दिए.
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