मनोकामना पूरी होने तक दुमुहानी बैकुंठधाम में भक्त देते हैं ‘धरना’
जमशेदपुर न्यूज़: कोडरमा जिले के चंदवारा प्रखंड के पूतो गांव में दुमुहानी बैकुंठधाम शिव मंदिर भक्तों की आस्था का बड़ा केंद्र माना जाता है. इसकी प्रसिद्धि इतनी ज्यादा है कि श्रद्धालु अपनी मनोकामना पूरी होने तक इस मंदरि में ‘धरना’ देते हैं. जी हां! धरना. भोले में अटूट आस्था का ही परिणाम है कि दुमुहानी बैकुंठधाम में सावन की सोमवारी पर यहां दूर-दराज से हजारों की संख्या में श्रद्धालु जलार्पण करने पहुंचते हैं.
मंदिर के पास दो नदियों का संगम है. जहां लोग स्नान कर शिवलिंग में जलार्पण करते हैं. पूरे सावन माह इस मंदिर में अखंड कीर्तन का आयोजन होता है. इस शिव मंदिर की झारखंड के अन्य शिव मंदिरों से विशेषता अलग है. यहां विभिन्न इलाकों से लोग मनोकामना लेकर आते हैं. मनोकामना पूरी होने तक वे मंदिर में कई माह तक ‘धरना’ देते हैं. इसमें वे मंदिर में रहकर उसकी साफ-सफाई व भगवान के सानिध्य में लीन हो जाते हैं. इस मंदिर में विशेषकर संतान प्राप्ति की मनोकामना लेकर महिलाएं भी पहुंचती हैं. मंदिर का परिसर लगभग 15 कट्ठा तक के क्षेत्रफल में फैला हुआ है. झारखंड सरकार द्वारा भी कुछ वर्ष पूर्व उक्त मंदिर को पर्यटन स्थल का दर्जा दे चुकी है. मंदिर के पुजारी सुगेश्वर पंडित डेढ़ दशक से मंदिर का देखरेख कर रहे हैं. साथ में कौशल्या बहन भी सेवा दे रही हैं. पुजारी बनने के बाद से सुगेश्वर पंडित दिनभर में दो कप चाय पीकर रहते हैं. कौशल्या भी चार पीकर ही रहती हैं.
जींस पहनकर यहां पूजा करने पर है प्रतिबंध
मंदिर के मेन गेट पर भगवान शिव की बड़ी मूर्ति है. मंदिर में पूजा करने के लिए लोगों को लोटा और पुरुषों को निशुल्क गमछा दिया जाता है. जींस पहनकर यहां पूजा करना वर्जित है. बताया जाता है कि 1972 में झरिया देवी द्वारा एक कलश रखकर इस मंदिर की स्थापना की गई थी. इसके बाद बैकुंठधाम का निर्माण रेबल कुम्हार व फागू यादव ने किया.
खुदाई में मिले शिवलिंग को किया गया स्थापित
मान्यता है कि करीब पांच दशक पूर्व भगवान शंकर ने रेबल कुम्हार को सपने में जमीन में शिवलिंग होने की जानकारी के लिए दर्शन दिए. इसके बाद जमीन की खुदाई पर उन्हें शिवलिंग प्राप्त हुआ. इसके बाद शिविलंग को मंदिर में स्थापित कर अनवरत पूजा-अर्चना की जा रही है. बाद में लोगों के सहयोग द्वारा उक्त मंदिर का भव्य विकास किया गया.