धनबाद: जिले में बुधवार को 108 एंबुलेंस सेवा ठप रही। 4 महीने से वेतन नहीं मिलने पर एंबुलेंस कर्मी हड़ताल पर चले गए हैं. इसके कारण प्रखंड स्तरीय स्वास्थ्य केंद्रों से लेकर सदर व मेडिकल कॉलेज अस्पताल तक एंबुलेंस की सुविधा नहीं मिल पाती थी. ग्रामीण इलाकों से मरीजों को अस्पताल ले जाने में परिजनों को काफी परेशानी का सामना करना पड़ा. वहीं, मेडिकल कॉलेज अस्पताल से रेफर किए गए कई मरीज हायर सेंटर यानी रांची के रिम्स नहीं जा सके. जानकारी के अनुसार जिले में 108 सेवा के तहत 27 सरकारी एंबुलेंस संचालित हैं.
इनसे ग्रामीण इलाकों में स्थित सीएचसी-पीएचसी से औसतन 30 मरीजों को मेडिकल कॉलेज और सदर व मेडिकल कॉलेज से 10 मरीजों को रिम्स, रांची ले जाया जाता है. यानी रोजाना करीब 40 और महीने में 1200 मरीजों को इस सुविधा का लाभ मिलता है. एंबुलेंस कर्मियों का कहना है कि वेतन नहीं मिलने से परिवार का भरण-पोषण करना मुश्किल हो गया है. अधिकारियों से वेतन दिलाने की गुहार लगाई थी, लेकिन कहीं सुनवाई नहीं हुई। मजबूरी में हड़ताल पर जाना पड़ा।
मधुबन बस्ती के बैजनाथ की पत्नी फूल कुमारी को सुबह प्रसव पीड़ा होने लगी। परिजनों ने उन्हें बाघमारा सीएचसी ले जाने के लिए कई बार 108 नंबर पर फोन किया, लेकिन एंबुलेंस नहीं आयी. फिर वे बस्ती से ही किराए के वाहन से गर्भवती महिला को सीएचसी ले जाने लगे। अस्पताल पहुंचने से पहले रास्ते में मंदरा बस्ती के पास वाहन में ही प्रसव हो गया। मां और बच्चा दोनों स्वस्थ हैं.
रेफर होने के बाद भी रांची नहीं जा सके
चिरकुंडा निवासी 70 वर्षीय सत्य नारायण सिंह हृदय व शुगर के मरीज हैं। 5 अगस्त से मेडिकल कॉलेज अस्पताल के एचडीयू में भर्ती हैं. बुधवार को डॉक्टरों ने उसे रिम्स रेफर कर दिया. परिजन लगातार 108 नंबर पर कॉल करते रहे, लेकिन कोई जवाब नहीं मिला। उनके पास निजी एंबुलेंस को देने के लिए 4500 रुपये नहीं थे, इसलिए वे उन्हें रांची नहीं ले जा सके.