21 साल के जवां झारखंड पर गहरे दाग, सरकारें बदली नहीं बदला सिस्टम
जनता से रिश्ता। 15 नवंबर, आज से ठीक 21 साल पहले झारखंड बिहार से अलग हो गया था. पूरे झारखंड (Jharkhand) में जश्न का माहौल था. मांदर और ढोल की थाप लोग नाच रहे थे. एक नया इतिहास लिखा जा चुका था. झारखंड राज्य बन चुका था. 'आबुआ दिशुम, आबुआ राज' का सपना पूरा हो चुका था. झारखंड के निर्माण के पीछे भी बिरसा मुंडा (Birsa Munda), तिलका मांझी (Tilka Manjhi), सिद्दु-कान्हु, चांद-भैरव, झुनी-फूलो, तेलंग खड़िया, शेख भिखारी और नीलांबर पीतांबर का सपना सच हुआ था.झारखंड अलग हुआ तो सपना था कि सदियों से हाशिये पर रहे गरीब भूखे-नंगे और शोषित आदिवासियों का अब अबुआ राज होगा. आदिवासियों का उत्थान होगा और हर झारखंडवासी की उन्नति होगी. लेकिन 21 साल बाद आज झारखंड वहां खड़ा है जहां इसके दामन पर घोटाला, भुखमरी और मॉबलिंचिंग के दाग हैं. इसके अलावा राज्य के लगभग 16 जिले लाल चादर में लिपटे हुए हैं.
जहां जंगलों में पेड़ पौधों और महुआ की खुशबू होनी चाहिए थी, वहां आज बारूद की गंध फैली हुई है. जंगलों में पंछियों की चहचहाट की जगह दहशत बोल रही है. प्रचुर संसाधन होने के बाद भी बेरोजगारी, अशिक्षा, बीमारी, कुपोषण, अराजकता और पलायन है.बात करें घोटालों की तो राज्य बनने के साथ ही यहां घोटाले होने लगे. यही वजह है कि 21 साल के बाद भी झारखंड देश के सबसे पिछड़े राज्यों में शामिल है.मैनहर्ट घोटालाझारखंड बनने के बाद 2003 में झारखंड हाई कोर्ट (Jharkhand High Court) ने राज्य की राजधानी रांची में सीवरेज-ड्रेनेज सिस्टम को विकसित करने का आदेश दिया. उस समय रांची में सिवरेज-ड्रेनेज के लिए दो परामर्शी का चयन किया गया. लेकिन कुछ दिनों बाद सरकार बदल गई. 2005 में अर्जुन मुंडा (Arjun Munda) मुख्यमंत्री बने और रघुवर दास (Raghubar das) नगर विकास मंत्री बनाए गए. 2005 में रांची में सिरवरेज-ड्रेनेज निर्माण को लेकर डीपीआर बनाने के लिए सिंगापुर की कंपनी मैनहर्ट (Manhart) को कंसल्टेंट नियुक्त किया गया. आरोप के मुताबिक इस पर तकरीबन 21 करोड़ रुपए खर्च हुए, लेकिन धरातल पर कोई काम नहीं हुआ.
मधु कोड़ा34वें राष्ट्रीय खेल के आयोजन में घोटाला34वें राष्ट्रीय खेल के आयोजन को झारखंड सरकार (Jharkhand Govrnment) ने एक अवसर के तौर पर लिया. इस आयोजन के लिए रांची में एक खेल गांव का निर्माण कराया गया. जहां एक ही कैंपस में कई तरह के खेलों के लिए अंतरराष्ट्रीय स्तर की सुविधा वाले स्टेडियम और खिलाड़ियों के रहने के लिए हॉस्टल का निर्माण किया गया. रांची के साथ-साथ धनबाद में भी कुछ खेलों का आयोजन किया गया ताकि धनबाद शहर में भी इसी बहाने विकास के काम हो जाए. इतने बड़े आयोजन में अरबों रुपए खर्च हुए. इन्हीं अरबों रुपए में से करोड़ों का घोटाला भी हो गया.