झारखंड
बीते पांच वर्षों में झारखंड में बेटियों की जन्म दर में आई कमी, सर्वे रिपोर्ट में खुलासा
Renuka Sahu
1 Jun 2022 5:19 AM GMT
x
फाइल फोटो
झारखंड में 2011 की जनगणना के अनुसार लिंगानुपात भले ही 948 हो, लेकिन बीते पांच वर्षों में यहां बेटियों की जन्म दर में कमी आई है।
जनता से रिश्ता वेबडेस्क। झारखंड में 2011 की जनगणना के अनुसार लिंगानुपात भले ही 948 हो, लेकिन बीते पांच वर्षों में यहां बेटियों की जन्म दर में कमी आई है। मिनिस्ट्री ऑफ हेल्थ एंड फैमिली वेलफेयर द्वारा कराए गए नेशनल फैमिली हेल्थ सर्वे (एनएफएचएस) -5 (2019- 21) की सेक्स रेशियो ऐट बर्थ फॉर चाइल्ड बॉर्न रिपोर्ट से यह खुलासा हुआ है। हालांकि देश के स्तर पर झारखंड की स्थिति पहले से बेहतर हुई है। एनएफएचएस-4 (2015-16) की रिपोर्ट के अनुसार झारखंड में 1000 लड़कों की तुलना में 919 लड़कियों का जन्म हुआ था। यह एनएफएचएस-5 (2019-21) में 20 की गिरावट के साथ 899 हो गई है। राज्य के 24 में से 17 जिलों में बेटों की अपेक्षा बेटियों का जन्म कम हुआ।
इस रिपोर्ट के अनुसार देश में पहले 1000 लड़कों की तुलना में 919 लड़कियों का जन्म होता था, जो अब बढ़कर 929 हो गया है। जिलों को कार्ययोजना बनाने का निर्देश एनएफएचएस-5 की रिपोर्ट में बेटियों की जन्म दर में गिरावट को झारखंड सरकार ने गंभीरता से लिया है। इसको लेकर पीसी एंड पीएनडीटी एक्ट के झारखंड नोडल ऑफिसर डॉक्टर अनिल कुमार ने सभी सिविल सर्जनों को पत्र लिखकर इसमें सुधार के लिए कार्य योजना तैयार करने का निर्देश दिया है।
देवघर-साहिबगंज की स्थिति सबसे अच्छी
बेटियों की जन्म दर में वृद्धि मामले में साहिबगंज की स्थिति अच्छी है। पिछले व हाल के सर्वे के अनुसार 164 अधिक लड़कियों का जन्म हुआ। देवघर में 778 से बढ़कर बेटियों की जन्म दर 929 हो गई है। लातेहार, पलामू, गिरिडीह, गुमला-सरायकेला में स्थिति सुधरी है।
खूंटी में ज्यादा गिरावट दुमका की स्थिति खराब
एनएफएचएस-4 और एनएफएचएस-5 की तुलना करें तो झारखंड में बेटियों की जन्म दर में सबसे अधिक गिरावट (373) खूंटी में आई है। यह संख्या घटकर अब 709 रह गई है। दुमका में 1021 से घटकर बेटियों की जन्म दर 946 हो गई है।
Next Story