रिपोर्ट के बाद नियमित करने पर निर्णय, सरकार को संविधान के अनुरूप निर्णय लेना होता है मंत्री
राँची न्यूज़: वित्त मंत्री रामेश्वर उरांव ने झारखंड विधानसभा में विधायक प्रदीप यादव के ध्यानाकर्षण पर कहा कि अनुबंध पर काम कर रहे कर्मियों को नियमित करने के लिए विकास आयुक्त की अध्यक्षता में कमेटी बनाई गई है. कमेटी की रिपोर्ट अभी प्राप्त नहीं हुई. बैठकें हो रही हैं.
10 वर्षों से अनुबंध पर काम कर रहे कर्मियों को नियमित करने का निर्णय 2015 में हुआ था. इसके बाद 20 जून 2019 में भी यह निर्णय हुआ है कि इस तारीख से पहले 10 वर्षों से अस्थाई रूप से काम कर रहे कर्मियों को स्थाई किया जाएगा. इसके तहत नियमित करने की कार्रवाई की जा रही है. कुछ आपत्ति पर विकास आयुक्त की अध्यक्षता वाली कमेटी अध्ययन कर रही है. कमेटी की रिपोर्ट का अध्ययन कर राज्य सरकार निर्णय लेगी. विधायक प्रदीप यादव ने सरकार के विभिन्न विभागों में संविदा, दैनिकभोगी, अनुबंध कर्मियों के लिए समान कार्य के लिए समान वेतन की मांग उठाई. उन्होंने सरकार के जवाब को भ्रामक बताते हुए कहा कि सर्वोच्च न्यायालय का निर्णय सभी कोर्ट पर लागू होता है. उन्होंने कहा कि राज्य में यह गंभीर समस्या बन गई है.
उन्होंने स्पीकर रबींद्र नाथ महतो से कहा कि काफी संख्या में ऐसे उदाहरण सामने आए हैं, जिसमं आठ हजार की नौकरी के लिए 35 हजार रुपए का ऑनलाइन माध्यम से घूस लेने के बाद नौ महीने वेतन नहीं दिया. उन्होंने ऐसे मामलों में गोड्डा में एफआईआर भी कराई है. इसे दुर्भाग्यपूर्ण कहकर आउटसोर्सिंग को दोहन का जरिया बताया.
राज्य में एक ही काम के लिए तीन तरह का वेतन प्रदीप:
विधायक प्रदीप यादव ने कहा कि राज्य में एक ही काम के लिए तीन तरह का वेतन दिया जा रहा है. स्थायी कर्मी को सवा लाख वेतन मिल रहा है. समान काम के लिए अस्थायी कर्मी और अनुबंध कर्मी को बहुत कम वेतन दिया जा रहा है. उन्होंने सवाल उठाते हुए कहा कि अस्थायी नियुक्ति को सरकार अवैध मानती है तो इस काम पर लगे लोगों पर सरकार रोक क्यों नहीं लगाती.
हरित फाउंडेशन ने घूस लेकर अस्थायी नियुक्ति कराई और मानदेय भी नहीं दे रहा है. उन्होंने कहा कि यह सर्वोच्च न्यायालय के समान काम के बदले समान वेतन के निर्णय का राज्य में उल्लंघन पर सरकार अविलंब रोक लगाए.
जवाब में वित्त मंत्री रामेश्वर उरांव ने कहा कि सरकार को संविधान के अनुरूप काम करना पड़ता है. नियमित कर्मचारी ओपन बाजार से लिए प्रतियोगी परीक्षा और साक्षात्कार जैसे कई प्रोसेस पूरे कर रखे जाते हैं. कुछ पदों के लिए हजारों परीक्षा में बैठते हैं, कुछ का चयन होता है. ज्यादात्तर रिजेक्ट हो जाते हैं. संविदा या अस्थायी कर्मी को एक कमेटी बहाल करती है.