जमशेदपुर न्यूज़: जिले में सिलिकोसिस की बीमारी पर रोकथाम का अभियान शुरू हो गया. उपायुक्त विजया जाधव के आदेश पर सिविल सर्जन डॉ. जुझार माझी ने धालभूमगढ़ व पोटका प्रखंड में दो ऐसी कंपनियों का निरीक्षण किया, जहां मजदूर पत्थर पीसने का काम करते हैं. निरीक्षण में फैक्ट्री इंस्पेक्टर कार्यालय के कर्मचारी भी शामिल थे.
इससे सिविल सर्जन ने तिरिलडीह स्थित शाह कंपनी व धालभूमगढ़ की खेतान इंडस्ट्रीज में जांच अभियान चलाया. सिविल सर्जन ने दोनों कंपनियों के संचालक से मजदूरों की नियमित एक्सरे जांच व स्वास्थ्य जांच समेत प्रदूषण रोकने की व्यवस्था का जायजा लिया. हालांकि दोनों कंपनियों की व्यवस्था से सिविल सर्जन सहमत नहीं हैं, लेकिन कंपनियों के प्रतिनिधि को सभी रिपोर्ट के साथ को कार्यालय बुलाया है. दरअसल, 11 जुलाई को सिलिकोसिस से पीड़ित मुसाबनी निवासी मजदूर कुंती पातर 56 वर्ष की मौत हुई थी. इससे उपायुक्त ने जांच का आदेश दिया और रिपोर्ट मांगी है.
ये है मामला सिलिकोसिस से जिले में अबतक 135 मरीजों (मुसाबनी 80, डुमरिया 32 और धालभूमगढ़ 27) की मौत हो चुकी है, जबकि 245 मजदूरों के शिकार होने की सूचना है. ओसाज संस्था ने सिलिकोसिस से मौत का मुद्दा उठाया था. सिलिकोसिस पीड़ित मजदूर को इलाज में आर्थिक सहायता और मौत होने पर मुआवजा का प्रावधान है. लेकिन डॉक्टर पीड़ित की मौत सिलिकोसिस की वजह से होने का उल्लेख नहीं करते हैं. इससे पीड़ित मरीजों या मृतक को आर्थिक लाभ नहीं मिल पाता है. ओसाज ने इस संबंध में मानवाधिकार आयोग में पत्र भेजा था, जिसमें संज्ञान लेकर झारखंड के मुख्य सचिव से एक महीने में रिपोर्ट मांगी गई
मुसाबनी स्वास्थ्य केंद्र से गायब मिले दर्जन भर कर्मचारी
सिविल सर्जन डॉ. जुझार माझी के औचक निरीक्षण में मुसाबनी सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र के करीब दर्जन भर कार्यालय कर्मचारी ड्यूटी से बगैर किसी सूचना के गायब मिले. इससे सिविल सर्जन ने नाराजगी जताई, क्योंकि सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र प्रभारी ने भी कार्यालय कर्मचारियों के ड्यूटी में नहीं आने का कारण स्पष्ट नहीं किया. सिविल सर्जन ने मुसाबनी सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र प्रभारी से गायब कर्मचारियों की सूची मांगी है. निरीक्षण के दौरान ही सिविल सर्जन ने सभी को रजिस्टर में अनुपस्थित कर वेतन काटने का आदेश दे दिया है.
सिविल सर्जन के औचक निरीक्षण से अन्य स्वास्थ्य केंद्र के कर्मचारियों में भी हड़कंप है, क्योंकि 23 जून को भी घाटशिला अनुमंडल अस्पताल के आधा दर्जन कार्यालय कर्मचारी भी सिविल सर्जन के निरीक्षण में गायब मिले थे. इसके अलावा 13 जुलाई को भी सिविल सर्जन की जांच में सदर अस्पताल से भी एक डॉक्टर ड्यूटी से गायब मिली थी. जानकार बताते हैं कि सिविल सर्जन की औचक जांच में पहले भी बगैर सूचना ड्यूटी से नदारद रहने वालों के खिलाफ स्वास्थ्य विभाग में वेतन काटने समेत अन्य कार्रवाई हुई है. इधर, सिविल सर्जन ने स्वास्थ्य केंद्र एवं कार्यालय कर्मचारियों को समय से ड्यूटी आने की चेतावनी दी है. उन्होंने कहा कि औचक जांच में नहीं मिलने पर विभागीय कार्रवाई होगी.