झारखंड

केन्द्र और झारखंड सरकार के बीच टकराहट की बनी नौबत, जानें क्या रही वजह

Renuka Sahu
23 Jan 2022 4:24 AM GMT
केन्द्र और झारखंड सरकार के बीच टकराहट की बनी नौबत, जानें क्या रही वजह
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फाइल फोटो 

आईएएस/आईपीएस अधिकारियों की प्रतिनियुक्ति को लेकर केन्द्र और झारखंड सरकार के बीच टकराहट की नौबत बन गयी है।

जनता से रिश्ता वेबडेस्क। आईएएस/आईपीएस अधिकारियों की प्रतिनियुक्ति को लेकर केन्द्र और झारखंड सरकार के बीच टकराहट की नौबत बन गयी है। झारखंड के मुख्मंत्री हेमंत सोरेन ने आईएएस (कैडर) रूल्स, 1954 में प्रस्तावित संशोधनों को रद्द करने की मांग की है। हेमंत सोरेन ने पीएम को लिखा है कि अखिल भारतीय सेवा से जुड़े अधिकारियों को बिना उनकी सहमति और राज्य सरकार से बगैर एनओसी लिये केंद्र सरकार में प्रतिनियुक्त करने का उद्देश्य स्पष्ट नहीं है। ऐसा करने से केन्द्र राज्य संबंध प्रभावित होगा। सीएम का कहना है कि यदि ऐसा केंद्र सरकार के मंत्रालयों में अधिकारियों की कमी को दूर करने के लिये किया जाना है तो भी यह यह कदम उचित नहीं प्रतीत हो रहा है। क्योंकि राज्य सरकार को अखिल भारतीय सेवा से केवल तीन श्रेणी आईएएस, आईपीएस और आईएफएस अधिकारी मिलते हैं। केंद्र सरकार यूपीएससी के माध्यम से हर वर्ष विभिन्न अखिल भारतीय सेवा के 30 अधिकारियों का पूल बना ले तो मंत्रालयों में अधिकारियों की कमी आसानी से दूर की जा सकेगी।

अधिकारियों की काफी कमी
सीएम ने झारखंड के संदर्भ में कहा है कि यहां अधिकारियों की काफी कमी है। वर्तमान में झारखंड में 215 स्वीकृत पद के बावजूद केवल 65 प्रतिशत यानि 140 आईएएस अधिकारी कार्यरत हैं। इसी प्रकार 149 स्वीकृत पद के विरुद्ध केवल 95 आईपीएस अधिकारी (64 प्रतिशत) काम कर रहे हैं। आईएफएस अधिकारियों की संख्या भी अच्छी नहीं है। राज्य के लिये यह सहज स्थिति नहीं है। कई अधिकारियों को एक से अधिक प्रभार दिया गया है। ऐसे में प्रतिनियुक्ति पर भेजना किसी भी चुनी हुई सरकार के प्रदर्शन के लिये सही नहीं होगा। परियोजनाओं को समय पर पूरा करने में भी दिक्कत आयेगी।
ब्यूरोक्रेसी की कार्य क्षमता प्रभावित हो जाएगी
सीएम सोरेन ने लिखा है कि अचानक अपने कैडर से बाहर जाने पर अधिकारी और उसके परिवार को परेशानी होगी, बच्चों की शिक्षा पर असर पड़ेगा। अधिकारियों का मनोबल और प्रदर्शन भी प्रभावित होगा। इसका झारखंड जैसे पिछड़े राज्य पर प्रतिकूल असर पड़ेगा। इससे केंद्र और खनिज संपन्न राज्य झारखंड के बीच ज्वलंत विषयों पर अधिकारी स्पष्ट राय नहीं दे सकेंगे। देश में ब्यूरोक्रेसी की कार्य क्षमता प्रभावित हो जाएगी।
केंद्र और राज्य के बीच बढ़ेगा तनाव
पत्र के माध्यम से मुख्यमंत्री ने कहा कि इस प्रकार के संशोधन से संघीय शासन की संवैधानिक भावना को चोट पहुंचेगी। उन्होंने इस प्रकार के कदम को राज्य में केंद्र से भिन्न पार्टी की सरकार में काम कर रहे अधिकारियों पर अप्रत्यक्ष रूप से नियंत्रित करने वाला बताया है। निस्संदेह इस कदम से पहले से ही तनावग्रस्त केंद्र-राज्य संबंधों में और तनाव आने की संभावना है। इसका अधिकारियों के उत्पीड़न और राज्य सरकार के खिलाफ प्रतिशोध की राजनीति के लिए दुरुपयोग होने की अपार संभावनाएं है। सीएम सोरेन ने कहा है कि केंद्र सरकार को केंद्रीय प्रतिनियुक्ति में प्रत्यक्ष गिरावट की वजह जानने के लिये आत्ममंथन करना चाहिये। बिना कारण बताये समय से पहले अधिकारियों को केंद्रीय प्रतिनियुक्ति से उनके कैडर में भेजे जाने की प्रवृति में रोका जाना चाहिये।
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