राँची न्यूज़: हजारीबाग के बड़कगांव में कोल परियोजना पकरी बरवाडीह की साइट विजिट कर जांच का आदेश दिया गया है. भारत सरकार के वन, पर्यावरण व जलवायु परिवर्तन विभाग के फारेस्ट कंजरवेशन डिविजन (एफएसी) के असीस्टेंट इंस्पेक्टर जनरल फॉरेस्ट सुनीत भारद्वाज ने इस संबंध में एक कमेटी बनायी है. कमेटी में एफएसी मेंबर ओपी शर्मा रांची के इंटीग्रेटेड रीजनल आफिस के रीजनल अफसर, नामित सदस्य प्रो अंशुमाली और एफसीए के नोडल अफसर सह एडिशनल पीसीसीएफ शामिल हैं.
जांच कमेटी एनटीपीसी के माइनिंग एरिया में हुए जलवायु परिवर्तन, कोल खनन के प्रभाव खासकर दुमुहानी नाला में आए परिवर्तन और क्षेत्र में पर्यावरण में इसके प्रभाव का अध्ययन करेगी. इसके साथ ही माइनिंग एरिया के 1787 एकड़ भूमि का असेस्टमेंट, वर्तमान के स्टेट्स का अध्ययन भी यह कमेटी करेगी.
कमेटी को आदेश दिया गया है कि वह शीघ्र अतिशीघ्र जांच कर रिपोर्ट सौंपे.
अवैध खनन नहीं किया एनटीपीसी
एनटीपीसी ने कहा है कि पकरी बरवाडीह माइनिंग एरिया में अवैध खनन की बात बेबुनियाद है. एनटीपीसी को भारत सरकार के कोयला मंत्रालय द्वारा वर्ष 2004 में पकरी बरवाडीह कोयला ब्लॉक आवंटित की गई थी तथा एनटीपीसी कोयला खनन से संबंधित सभी वैधानिक अनुमति प्राप्त करने के तत्पश्चात वर्ष 2016 के दिसंबर माह में अपनी पहली कोयला खनन पर योजना चालू की थी.
परियोजना में लगभग 4695 हेक्टेयर वन भूमि सम्मिलित है तथा प्रथम चरण में कोयला खनन हेतु कुल 3319.92 हेक्टेयर भूमि में कोयला खनन होना है. इस 3319.92 हेक्टेयर भूमि में लगभग 1026.438 हेक्टेयर वन भूमि सन्निहित है, जिसका हस्तांतरण भारत सरकार के पर्यावरण एवं वन मंत्रालय द्वारा 2010 में एनटीपीसी को किया जा चुका है. यह भी बताना होगा कि इस परियोजना से लगभग 19 गांव प्रभावित हो रहे हैं तथा गांव के सभी भूमि एनटीपीसी को हस्तांतरित किया जा चुका है. एनटीपीसी की तरफ से बयान आया है कि समेकित क्षेत्रीय कार्यालय के जिस रिपोर्ट की उल्लेख किया गया है वह रिपोर्ट फॉरेस्ट क्लीयरेंस की शर्त संख्या 8 के वायलेशन से संबंधित है ना कि अवैध खनन से संबंधित है. इस संदर्भ में यह बताना उचित होगा कि पकरी बरवाडीह कोयला खनन परियोजना के कुल ब्लॉक से होकर मुख्य रूप से तीन मौसमी नालाएं गुजरती है.