धनबाद न्यूज़: कोल इंडिया की अनुषंगी कंपनियों की कोयला खदानों से चालू वित्तीय वर्ष में बेहतर कोयला उत्पादन तो हो ही रहा है. कैप्टिव खदानें ( कंपनियों को अपने औद्योगिक उपयोग के लिए दी गई खदानों) भी उत्पादन में आगे चल रही हैं. पहली बार देश में लिए कैप्टिव व वाणिज्यिक खदानों से कोयले का उत्पादन 100 मिलियन टन के पार हो गया है. कैप्टिव खदानों के उत्पादन में इस वित्तीय वर्ष में 31 की वृद्धि हुई है.
कोयला मंत्रालय के नवीनतम आंकड़ों (02 मार्च 2023 तक) के अनुसार विशेष रूप से कैप्टिव व वाणिज्यिक खदानों से भारत का कोयला उत्पादन पहली बार 100 मिलियन टन को पार कर गया है. दो मार्च-2023 को कैप्टिव व वाणिज्यिक कोयला ब्लॉक से कोयले का उत्पादन लगभग 5.09 लाख टन था, जो कि अबतक का सर्वाधिक एकल दिवस उत्पादन था. वित्त वर्ष 2021-22 की तुलना में चालू वित्त वर्ष के दौरान फरवरी तक कैप्टिव व वाणिज्यिक कोयला खदानों से उत्पादन में 29.8 की वृद्धि हुई है. कोयला मंत्रालय को पिछले वर्ष की तुलना में लगभग 31 की वृद्धि के साथ 2022-23 में कैप्टिव व वाणिज्यिक कोयला ब्लॉक से 112 मिलियन टन से अधिक उत्पादन प्राप्त करने की उम्मीद है. चार नई कोयला खदानों ने वित्त वर्ष 2022-23 में उत्पादन शुरू कर दिया है और दो अन्य कोयला खदानों में इसी महीने उत्पादन शुरू हो जाएगा.
फायर फाइटिंग तकनीक से रू-ब-रू होंगे लोग
धनबाद, विशेष संवाददाता. बीसीसीएल में भूमिगत आग के खिलाफ फायर फाइटिंग तकनीक से लोग रू-ब-रू होंगे. कोल इंडिया के 50 साल पूरे होने पर पांच मई को कोलकाता में भव्य कार्यक्रम का आयोजन किया जा रहा है. उक्त कार्यक्रम में बीसीसीएल की ओर से फायर फाइटिंग तकनीक का प्रदर्शन किया जाएगा. कोल इंडिया ने अपनी सभी अनुषंगी कंपनियों को कंपनी की कुछ खास विशिष्टता पर कार्यक्रम में प्रदर्शनी लगाने को लिखा है. बीसीसीएल की ओर से उक्त प्रदर्शनी में फायर फाइटिंग प्रोजेक्ट को प्रदर्शित किया जाएगा. मालूम हो कि कोल इंडिया की बीसीसीएल एक ऐसी अनुषंगी कंपनी है, जहां खनन क्षेत्र में भूमिगत आग की समस्या सौ साल पुरानी है. वर्षों से बीसीसीएल में आग के बीच खनन हो रहा है. बेशकीमती कोकिंग कोल को बचाने के लिए बीसीसीएल में कई फायर फाइटिंग प्रोजेक्ट के माध्यम से कोयला निकाला जा रहा है. कोलकाता में होनेवाले कार्यक्रम को लेकर बीसीसीएल में तैयारी शुरू कर दी गई है.