झारखंड

नियमित नहीं हो पा रहा है कोयला उत्पादन व डिस्पैच, जिसके चलते ईसीएल का लगातार बढ़ रहा घाटा

Ritisha Jaiswal
29 July 2022 10:59 AM GMT
नियमित नहीं हो पा रहा है कोयला उत्पादन व डिस्पैच, जिसके चलते ईसीएल का लगातार बढ़ रहा घाटा
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कोल इंडिया की अनुषंगी इकाई ईसीएल की तीन बड़ी परियोजना झारखंड क्षेत्र में पड़ती है

कोल इंडिया की अनुषंगी इकाई ईसीएल की तीन बड़ी परियोजना झारखंड क्षेत्र में पड़ती है। राजमहल, एसपी माइंस चितरा व मुगमा एरिया है। तीनों ही परियोजना से लक्ष्य के अनुसार कोयला उत्पादन व डिस्पैच नियमित नहीं हो पा रहा है। इसके कारण ईसीएल का घाटा लगातार बढ़ता जा रहा है। इन तीनों पर ही सबसे अधिक फोकस कोयला मंत्री प्रह्लाद जोशी का भी है। इस लिहाज कोयला मंत्री से लेकर कोल इंडिया चेयरमैन लगातार झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन व मुख्य सचिव के संपर्क में हैं।

परियोजना को लेकर सबसे बड़ी बाधा जमीन की आर रही है। जमीन नहीं मिलने के परियोजना शुरू करने में परेशानी आ रही है। अगर जल्द स्थिति में सुधार नहीं किया गया तो रिवाइव करना मुश्किल हो जाएगा। जिसका असर कोल इंडिया पर भी पड़ेगा।
ईसीएल की राजमहल परियोजना ललमटिया कोयला खदान में जमीन की समस्या काफी विकराल रूप धारण कर रही है। तालझारी, पहाड़पुर, भेरंडा बसडीहा बस्ती गांव जहां जमीन से लोगों को विस्थापित करने में प्रबंधन को काफी परेशानी हो रही है। वहीं चित्रा माइंस व मुगमा एरिया में खास निरसा के पास जीटी रोड व रेल लाइन के बीच जमीन अधिग्रहण करने में समस्या आ रहा है।
कंपनी मिनीरत्‍न के दर्जे से पीछे
ईसीएल प्रबंधन ने प्लान के तहत इस साल मिनीरत्‍न का दर्जा हासिल करने का इच्छा रखी थी, लेकिन उससे पीछे रह जाएगी। कंपनी पिछले साल करीब एक हजार करोड़ के घाटे में थी। इस साल पहली तिमाही में ईसीएल ने पीबीटी 1071 करोड़ का लाभ कमाया है, लेकिन फिर भी घाटे में है। लगातार निदेशकों की टीम तीनों एरिया का दौरा कर स्थिति पर नजर बनाए हुए है।
हर दिन 50 हजार टन कम हो रहा कोयला उत्पादन
ईसीएल के राजमहल में हर दिन लक्ष्य से 50 हजार टन कम कोयला उत्पादन हो रहा है। जब कोयला उत्पादन कम होगा तो निश्चित ही डिस्पैच कम होगा। डिस्पैच होने पर पावर प्लांट सहित अन्य उद्योग से राशि का भुगतान मिलता है। आर्थिक रूप से ईसीएल पर भी काफी असर पड़ रहा है। राजमहल को 60 से 70 हजार टन कोयला उत्पादन करना है उसकी जगह 10 से 15 हजार कर रही है। चित्रा माइंस व मुगमा एरिया भी लक्ष्य से पांच हजार टन कम कोयला उत्पादन कर रही है। परियोजना चालू होने से यह लक्ष्य हासिल करने में आसानी होगी।
इस संबंध में कोल इंडिया के तकनीकी निदेशक बी वीरा रेड्डी ने कहा कि राजमहल में जमीन नहीं मिलने का कारण परेशानी हो रही है। इसके साथ ही जमीन की समस्या हर जगह है। लगातार इस पर राज्य सरकार के साथ मिलकर बातचीत हो रही है। अगर समस्या का समाधान नहीं हुआ तो ईसीएल का रिवाइव कर पाना मुश्किल हो जाएगा। उन्‍होंने कहा कि उत्पादन में गिरावट आई है, जिसका असर कोल इंडिया पर भी पड़ता है।
इस संबंध में ईसीएल के तकनीकी निदेशक जेपी गुप्‍ता ने कहा कि जमीन की समस्या झारखंड क्षेत्र के तीनों एरिया में बनी हुई है। 2021-22 में ईसीएल घाटा थी, लेकिन चालू वित्त वर्ष के पहले तिमाही में कंपनी मुनाफे में आई है, लेकिन कुल मिलाकर ईसीएल घाटा में हैं। जमीन मिलने से नए प्रोजेक्ट खुलेंगे तो कोयला उत्पादन व डिस्पैच होगा तो कंपनी की स्थिति में अपने आप सुधार हो जाएगा।


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