टुड़ीगंज में स्वच्छता अभियान बेअसर, कूड़े से पटा गन्ना केन्द्र
बक्सर न्यूज़: स्वच्छता अभियान को लेकर जिला प्रशासन द्वारा चलायी जा रही मुहिम का किस तरह माखौल उड़ाया जा रहा है, इसका नायाब उदाहरण डुमरांव प्रखंड के टुड़ीगंज में देखने को मिल रही है. स्टेशन से महज चंद मीटर की दूरी पर स्थित गन्ना क्रय-विक्रय केन्द्र कूड़े का डंपिंग जोन बन गया है. भवन के बाहरी परिसर में न केवल कूड़ा-कचरा फेका जा रहा है, बल्कि स्थानीय लोग वहां मल-मूत्र त्याग आस-पास के वातावरण को प्रदूषित भी कर रहे हैं. हैरानी की बात यह है कि गन्ना क्रय-विक्रय केन्द्र की बदहाली से अवगत होने के बावजूद विभागीय अधिकारी पहल नहीं कर रहे हैं.
टुड़ीगंज इलाकाई लोगों के लिए बेहद महत्वपूर्ण माना जाता है. रेलवे स्टेशन होने के साथ यहां एक प्रमुख बाजार भी है, जहां क्षेत्रीय लोग ट्रेन पकड़ने के अलावा दैनिक वस्तुओं की खरीदारी करने भी आते हैं. इससे सुबह से देर शाम तक यहां भीड़-भाड़ का माहौल कायम रहता है. लेकिन, स्थानीय व्यवसायी सड़क किनारे खुली जगहों पर जिस तरह कूड़े का अंबार लगा रहे हैं, उससे टुड़ीगंज में महामारी जैसी गंभीर बीमारी के फैलने से इंकार नहीं किया जा सकता. देखा जाए तो यहां के व्यवसायियों के लिए कूड़ा फेकने का सबसे सुरक्षित ठिकाना गन्ना क्रय-विक्रय केन्द्र का खुला परिसर ही बन गया है. किसी तरह की कोई बंदिश नहीं होने से स्थानीय व्यवसायी उसे मल-मूत्र का सुलभ केन्द्र भी बना दिए हैं. कूड़े की ढेर से निकल रही दुर्गंध व सड़ांध से आम लोगों का जीना मुहाल हो गया है. स्थानीय मदन नोनिया, धर्मेन्द्र यादव, मोहन प्रसाद आदि ने बताया कि टुड़ीगंज क्षेत्र का महत्वपूर्ण रेलवे स्टेशन होने के साथ एक प्रमुख बाजार भी है. इससे साफ-सुथरा व स्वच्छ बनाए रखने में सभी को सहयोग करना चाहिए.
छह दशक पहले हुआ था केन्द्र का निर्माण: गन्ना क्रय-विक्रय केन्द्र की स्थापना सन् 1958 में अनुमंडल स्तर पर सिर्फ टुड़ीगंज में की गई थी. लगभग 15 डिसमील के बड़े भू-भाग में निर्मित क्रय-विक्रय केन्द्र का भवन उस वक्त चीनी मिल के कर्मचारियों से गुलजार हुआ करता था. बताया जाता है कि पटना के बिहटा में स्थित चीनी मिल में यहां से गन्ने की आपूर्ति की जाती थी. उस वक्त केन्द्र से इलाके के सैकड़ों गरीब परिवारों को प्रत्यक्ष एवं अप्रत्यक्ष रूप से रोजगार मिलता था. परन्तु, कुछ वर्षों बाद बिहटा चीनी मिल के बंद होने से टुड़ीगंज का गन्ना क्रय-विक्रय केन्द्र भी हमेशा के लिए बंद हो गया. वर्तमान में केन्द्र का पिछला हिस्सा पूरी तरह ध्वस्त हो चुका है. जबकि, सामने वाले परिसर में कूड़े का ढेर लगा हुआ है.