झारखंड
झारखंड पुलिस में गुनाहगारों को सजा दिलाने के लिए बनेगी CIPU, जानें क्या है यह नई यूनिट
Renuka Sahu
7 April 2022 6:35 AM GMT
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फाइल फोटो
झारखंड पुलिस अपराधिक कांड के अनुसंधान से लेकर सजा दिलाने तक के लिए स्पेशल यूनिट तैयार कर रही है।
जनता से रिश्ता वेबडेस्क। झारखंड पुलिस अपराधिक कांड के अनुसंधान से लेकर सजा दिलाने तक के लिए स्पेशल यूनिट तैयार कर रही है। यह यूनिट क्राइम इन्वेस्टिगेशन एंड प्रोसिक्यूशन यूनिट(सीआईपीयू) के नाम से जानी जाएगी। राज्य पुलिस की सीआईडी ने सीआईपीयू के गठन का प्रस्ताव पुलिस मुख्यालय को भेजा था, इस प्रस्ताव पर सहमति मिल चुकी है। डीजीपी नीरज सिन्हा के आदेश से सीआईपीयू के गठन संबंधी आदेश को गुरुवार को जारी कर दिया जाएगा। सीआईपीयू के तहत जिला व राज्य के स्तर पर पदाधिकारियों की तैनाती होगी। प्रत्येक थाना में भी सीआईपीयू का कामकाज देखने के लिए अफसर प्रतिनियुक्त किए जाएंगे।
प्रत्येक जिला में थानावार कोर्ट नोडल अफसर व जांच पदाधिकारी होंगे तैनात
झारखंड के प्रत्येक थाने में सीआईपीयू के तहत एक नोडल पदाधिकारी तैनात होंगे। वहीं अनुसंधान के लिए प्रत्येक थाना में प्रति 50 पेंडिंग केस एक अनुसंधान पदाधिकारी को सीआईपीयू में रखा जाएगा। अनुसंधान पदाधिकारी कांड के अनुसंधान को फोकस करेंगे, वहीं प्रत्येक थाना के नोडल पदाधिकारी का जिम्मा होगा कि वह ससमय गवाही पूरी कराए, कांडवार कोर्ट के आदेश, कार्रवाई से जांच पदाधिकारी को अवगत कराए व इसकी जानकारी थानेदार को दे। सीआईपीयू के तहत थाने में तैनात दरोगा स्तर के अधिकारी की जिम्मेदारी बारीक अनुसंधान पर होगी। किसी केस में अगर आरोपी बरी हो गए तो इस पहलू का अध्ययन करना होगा। साथ ही थाना में अपराधी के डोजियर खोलने से लेकर अन्य कार्रवाई करानी होगी। राज्यस्तर पर सीआईडी डीआईजी का जिम्मा राज्य स्तर पर सीआईपीयू सीआईडी के अधीन काम करेगी।
राज्य स्तरीय सीआईपीयू की कमान सीआईडी डीआईजी के जिम्मे
होगी। उनके अधीन सीआईडी एसपी, इंवेस्टिगेशन ट्रेनिंग स्कूल के डीएसपी व दो इंस्पेक्टरों की तैनाती होगी। राज्य स्तरीय सीआईपीयू सभी जिलों के सीआईपीयू के कामकाज की मॉनिटरिंग करेगी वहीं उसे समय समय पर कांड से जुड़े सुझाव देगी।
एक रिव्यू कमेटी भी करेगी काम
सीआईपीयू में राज्य स्तर पर एक रिव्यू कमेटी भी गठित की जाएगी। रिव्यू कमेटी में अभियोजन निदेशक, डीआईजी सीआईडी और एसपी सीआईडी रहेंगे। इस कमेटी का काम केस का विश्लेषण करना होगा। किसी केस में यदि आरोपी बरी हो जाते हैं तो यह कमेटी उस केस की समीक्षा करेगी। समीक्षा के दौरान केस के अनुसंधान के साथ साथ पीपी व एपीपी के कामकाज की भी समीक्षा होगी। जिसकी गलती से आरोपी बरी होंगे उसके खिलाफ कार्रवाई की अनुशंसा यह कमेटी करेगी। वहीं बेहतर अनुसंधान होने पर इस कमेटी की अनुशंसा पर ही रिवार्ड दिया जाएगा।
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