राँची: राज्य के बिल्डर अब बिना भूमि मालिक की सहमति के स्वीकृत नक्शे में बदलाव नहीं कर सकेंगे, क्योंकि झारेरा खरीदारों के हितों को लेकर अब और सख्त नियम बनाने जा रहा है. झारेरा के नियम के मुताबिक स्वीकृत नक्शे में बदलाव के लिए बिल्डर को कम-से-कम एक तिहाई आवंटियों की सहमति लेनी होती है, लेकिन अभी इस नियम का पालन नहीं के बराबर हो रहा है.
बता दें कि बिल्डर नक्शे में विचलन के बाद नगर निगम या संबंधित निकाय से आसानी से नए नक्शे स्वीकृत करा लेते हैं. इसी को ध्यान में रखते हुए झारेरा अब रांची नगर निगम समेत सभी नगर निकायों, जिला परिषदों को पत्र भेजकर हर हाल में खरीदारों के हितों की रक्षा के लिए कदम उठाने का निर्देश देगा.
बदलाव के लिए एक-तिहाई खरीदारों की अनुमति जरूरी झारेरा सदस्य वीरेंद्र भूषण का कहना है कि स्वीकृत नक्शे में बदलाव के लिए किसी भी बिल्डर को एक-तिहाई आवंटियों की अनुमति लेनी है, लेकिन कई मामलों में पाया गया है कि बिना आवंटियों की अनुमति के नक्शे में बदलाव कर इसे निगम से स्वीकृत करा लेते हैं. नियम के अनुसार, बिल्डर ने जो सेंक्शन और डिस्पोज्ड नक्शा ब्रोशर में दिखाया है, उसमें किसी भी परिवर्तन से पूर्व आवंटी से इजाजत जरूरी है.
जी प्लस-2 के नक्शे पर जी प्लस-3 बना लेते हैं झारेरा के अनुसार, रांची समेत कई शहरों में ऐसे कई मामले सामने आए हैं, जिसमें बिल्डर ने जी प्लस-टू के लिए नक्शा पास करवाया, लेकिन बाद में इसमें बदलाव करते हुए जी प्लस-3 का निर्माण कर लिया. और फिर नए सिरे से नक्शे की स्वीकृति ले ली.
ऐसे मामले रांची के अलावा धनबाद, जमशेदपुर, देवघर जैसे बड़े शहरों में अधिक सामने आते हैं.
भवन खरीदते समय इन बातों का रखें ख्याल
● यह सुनिश्चित कर लें कि आप प्रोजेक्ट में जो फ्लैट खरीद रहे हैं, वह झारेरा से निबंधित हो
● बिल्डर या डेवलपर से अनुज्ञा पत्र की कॉपी मांग कर खुद इसे देखें कि इसमें बदलाव तो नहीं है
● बिल्डर से स्वीकृत योजना की प्रति मांगें और देखें कि निर्माण इसके हिसाब से हुआ है या नहीं