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गला पकड़ने के फोटो-वीडियो को चांडिल एसडीओ ने बताया फर्जी
Chandil : सरायकेला-खरसावां जिले के चांडिल अनुमंडल के एसडीओ रंजीत लोहरा ने गत मंगलवार को कपाली के डोबो हनुमान नगर में ईचागढ़ की विधायक सविता महतो की पर दखल-कब्जा दिलाने के मामले को लेकर प्रेस कांफ्रेस की. उन्होंने कहा कि खाता नंबर 42 और 99 की जमीन पर दखल-कब्जा दिलाने के दौरान चांडिल अंचलाधिकारी प्रणव कुमार अंबष्ठ की जो फोटो और वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल है, वह फर्जी (फेक) है. उन्होंने बताया कि जिस व्यक्ति की गर्दन पकड़ने की बात रही जा रही है, उसका नाम बलराम महतो है. वह असामाजिक तत्वों के बहकावे में नशे में वहां आकर गाली-गलौज कर रहा था. सीओ उसे हटाने का प्रयास कर रहे थे.
यही वीडियो हो रहा वायरल
एसडीओ ने कहा कि खाता 42 और 99 की भूमि पर 4 प्लॉट हैं. प्लॉट संख्या 1232 और 1233 के खतियानी रैयत नरेंद्र नाथ मित्र हैं. प्लॉट संख्या 1239 एवं 1240 के खतियानी रैयत – वीआरइ स्टीव्स एवं ओस डिसूजा हैं, जो कि आदिवासी नहीं है. उक्त बातों का जिक्र मुकदमा संख्या 2108 वर्ष 1964 सीएनटी एक्ट की धारा 90 के आलोक में दिये गये आदेश में भी है. एसडीओ के अनुसार उक्त दोनों खतियानी रैयत के वंशजों से रैयत सविता महतो, पिता मानिक चंद्र महतो ने वर्ष 2010 में उक्त भूमि को खरीदा. पिछले आठ-नौ माह से सविता महतो द्वारा अंचल में आवेदन देकर भूमि के सीमांकन का अनुरोध किया जा रहा था. 19 जुलाई 2022 को सीमांकन की तिथि तय हुई. सीओ चांडिल को वरीय दंडाधिकारी, सीआइ चांडिल को दंडाधिकारी बनाया गया. विधि व्यवस्था हेतु थाना प्रभारी कपाली, अनुमंडल पुलिस पदाधिकारी एवं अनुमंडल पदाधिकारी भी वहां पुलिस बल के साथ उपस्थित थे.
एसडीओ ने बताया कि उक्त जमीन पर तीन परिवारों ने जमीन को लेकर आपत्ति जतायी थी. उन्हें शांतिपूर्वक समझाने-बुझाने का काम चल रहा था. इसी बीच बलराम महतो नामक व्यक्ति नशे की हालत में भूखंड पर आकर गाली-गलौज करने लगा. हटाने के क्रम में वह इधर-उधर भागने लगा, जो कि वीडियो में स्पष्ट दिख रहा है. एसडीओ ने बताया कि भागने के क्रम में वह व्यक्ति सीओ चांडिल के करीब से गुजरा. उन्होंने उसे पकड़ने की कोशिश की, लेकिन वह छुड़ाकर धक्का देते हुए भागने लगा, तो उक्त व्यक्ति को धक्का देते हुए भूखंड से बाहर किया गया, जो कि वीडियो में देखा जा सकता है. एसडीओ ने कहा कि इसके एक अंश को निकाल कर दुष्प्रचार किया जा रहा है. यह स्पष्ट है कि खतियान आदिवासी का नहीं है, न ही कोई आदिवासी व्यक्ति वहां था. उन्होंने कहा कि पुलिस-प्रशासन ने विधि व्यवस्था बनाने के लिए के लिए जो जरूरी था, वही किया.

Rani Sahu
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