झारखंड

चांडिल : बांध विस्थापित मत्स्यजीवी स्वावलंबी सहकारी समिति के अध्यक्ष व सचिव पर सर्टिफिकेट केस दर्ज, जानें पूरा मामला

Renuka Sahu
16 Oct 2022 4:51 AM GMT
Chandil: Certificate case filed against the chairman and secretary of the dam displaced fishermen self-supporting cooperative society, know the whole matter
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न्यूज़ क्रेडिट : lagatar.in

सुवर्णरेखा बहुउद्देशीय परियोजना प्रशासन ने अपने दायित्वों के निर्वाहन को लेकर सजगता से काम करना शुरू कर दिया है.

जनता से रिश्ता वेबडेस्क। सुवर्णरेखा बहुउद्देशीय परियोजना प्रशासन ने अपने दायित्वों के निर्वाहन को लेकर सजगता से काम करना शुरू कर दिया है. परियोजना बांध प्रमंडल संख्या-2 के कार्यपालक अभियंता संजीव कुमार ने चांडिल बांध विस्थापित मत्स्यजीवी स्वावलंबी सहकारी समिति लिमिटेड के अध्यक्ष नरायण गोप व सचिव श्यामल मार्डी के ऊपर बकाया एक करोड़, छह लाख, 50 हजार, 681 रुपये की वसूली के लिए सर्टिफिकेट केस दर्ज कराया है. बताया गया है कि लंबे पत्राचार के बाद भी बकाया राशि का भुगतान नहीं करने पर समिति के खिलाफ सर्टिफिकेट केस दर्ज कराया गया है. सरायकेला-खरसावां जिले में समिति के खिलाफ सर्टिफिकेट केस संख्या 3 / 2022-23 दर्ज किया गया है.

मछली पालन के लिए 2017 व नौका विहार परिचालन के लिए 2007 तक थी बंदोबस्ती
चांडिल बांध विस्थापित मत्स्यजीवी स्वावलंबी सहकारी समिति लिमिटेड द्वारा सुवर्णरेखा बहुउद्देशीय परियोजना बांध प्रमंडल संख्या-2 से चांडिल डैम में मछली पकड़ने के लिए दो अप्रैल 2007 से 31 मार्च 2017 तक 73 लाख, 60 हजार, 61 रुपये में बंदोबस्ती ली गई थी. साथ ही डैम में नौका विहार का परिचालन करने के लिए 14 अगस्त 2006 से 31 मार्च 2007 तक तीन लाख, 70 हजार, 999 रुपये में बंदोबस्ती ली गई थी. लेकिन समिति ने बंदोबस्ती की राशि का पूरा भुगतान नहीं किया है अर्थात बंदोबस्ती लेने के बाद रुपया जमा ही नहीं किया गया है. ऐसे में अब सवाल यह उठता है कि आखिर चांडिल डैम में 2017 के बाद से मछली पालन का संचालन कौन कर रहा है और इस संबंध में विभाग क्या कर रहा है.
बगैर बंदोबस्ती के हो रहा नौका विहार का संचालन
बंदोबस्ती खत्म होने के बाद भी चांडिल डैम में चांडिल बांध विस्थापित मत्स्यजीवी स्वावलंबी सहकारी समिति लिमिटेड अवैध रूप से नौका विहार का संचालन कर प्रतिदिन लाखों रुपये आमदनी कर रही है. डैम में नौका विहार के संचालन के लिए समिति का अनुबंध 2007 में ही समाप्त हो गया था. एकरारनामा की शर्तों के अनुसार समिति को हर माह के प्रथम सप्ताह में 30 हजार 967 रुपये जमा करने थे. लेकिन समिति ने 50 हजार रुपये जमा कर पूरे साल बाकी की राशि का भुगतान नहीं किया. इस संबंध में कार्यालय की ओर से कई बार पत्राचार किया गया. इस एक साल की बंदोबस्ती के दौरान समिति का बकाया दो लाख 47 हजार 336 रुपये हो गया था. इसके बाद डैम में नौका विहार के लिए एकरारनामा नहीं किया गया. अब 2007 से चांडिल डैम में बगैर अनुबंध के नौका विहार का संचालन किया जा रहा है. ऐसे में अगर नौका विहार के दौरान किसी प्रकार की घटना होती है, तो इसका जिम्मेदार कौन होगा.
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