
Chakradharpur: रविवार को गम्हरिया प्रखंड के महुलडीह में 1932 के खतियान आधारित स्थानीय और नियोजन नीति लागू करवाने को लेकर मानसून सत्र में आवाज उठाने के लिए ज्ञापन सौंपने गए झारखंडी भाषा खतियान संघर्ष समिति के सदस्यों पर कैबिनेट में परिवहन, अनुसूचित जनजाति,अनुसूचित जाति और पिछड़ा वर्ग कल्याण के कैबिनेट मंत्री चंपाई सोरेन के द्वारा प्राथमिकी दर्ज कराना दुर्भाग्यपूर्ण है. खुद को जल, जंगल, जमीन और आदिवासी मूलनिवासियों की सबसे बड़ी हितैषी कहने वाली सरकार जब झारखंडी जनता अपनी समस्याओं को लेकर ज्ञापन सौंपने जाती है तो आम जनता से ज्ञापन लिये बिना ही चले जाना और ज्ञापन देने गए सदस्यों पर ही गैर जमानती धाराओं पर प्राथमिकी दर्ज करवाना एक लोकतांत्रिक देश का भद्दा मजाक है. चंपई सोरेन को यह नहीं भूलना चाहिए कि यही जनता पिछले चुनाव में वोट देकर विधानसभा तक पहुंचाई थी ताकि झारखंडी जनमानस के अनुरूप नियम और कानून बनाया जा सके लेकिन मंत्री जी का अहंकार इतना अधिक बढ़ गया है कि अपनी ही जनता के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज करवा कर डराने का नाकाम कोशिश कर रही है. यह बातें झारखंडी भाषा खतियान संघर्ष समिति के सदस्य बासिल हेम्ब्रम ने प्रेस विज्ञप्ति जारी कर कही.
