राँची न्यूज़: रिम्स में मरीजों की जांच व्यवस्था में धांधली का मामला राजभवन पहुंच गया है. राज्यपाल को इस बाबत लिखित शिकायत करते हुए उच्च स्तरीय जांच की मांग की गयी है. इसमें बताया गया है कि रिम्स में पूर्व से संचालित सीबीसी जांच मशीन को जानबूझकर बंद कर दिया गया.
निदेशक के पूर्व परिचित लैब मेडिसिन विभाग के एचओडी डॉ अमित कुमार ने स्टोर अफसर की आपत्ति के बावजूद दिल्ली के अपने पूर्व परिचित सप्लायर से नयी मशीन खरीद ली. यही नहीं, पूर्व से निविदा में स्वीकृत प्रति सेट एक लाख की दर पर उपयोग हो रहे रीएजेंट का उपयोग बंद कर दिया. जबकि नयी मशीन के एक सेट रीएजेंट की कीमत निविदा में स्वीकृत दर से सवा चार गुना (4.25 लाख) है. जिसमें हर माह औसतन तीन सेट के उपयोग पर ही 10 साल में लगभग 12 करोड़ रुपए का अधिक व्यय सरकार को करना होगा.
इसी प्रकार वर्षों से निजी एजेंसी के माध्यम से एबीजी जांच (ब्लड गैस एनालाईजर) लैब का अवैध संचालन करने एवं नियम विरुद्ध भुगतान करने की सूचना दी गयी है. कहा गया है कि इसके लिए न तो विधिवत निविदा निकाली गयी, न ही मार्केट रेट का मूल्यांकन किया गया. मिलीभगत से बीते साल जनवरी में एक निविदा निकाली गयी और उसे 9 बार अवधि विस्तार दिया गया
नियम विरुद्ध नन मेडिकल को बना दिया एचओडी
शिकायत में कहा गया है कि रिम्स की जांच व्यवस्था में हेराफेरी की नीयत से ही लैब मेडिसिन विभाग में एनएमसी के प्रावधानों के विपरीत नियुक्ति की गयी. निदेशक ने अपने पूर्व परिचित डॉ अमित कुमार को न सिर्फ रिम्स में नियुक्त किया, बल्कि लैब मेडिसिन विभाग का एचओडी बना लिया. जबकि, नियमानुसार डॉ अमित के पास मेडिकल की डिग्री ही नहीं है. इसी प्रकार कई विभागों में वरीय को हटाकर कनीय को एचओडी बनाया गया. राज्यपाल से इस पूरे मामले की जांच कराकर निहित स्वार्थी तत्वों की मिलीभगत से रिम्स एवं राज्य को हो रहे नुकसान से बचाने की मांग की गई है. शिकायत की प्रति मुख्य सचिव, अपर मुख्य सचिव, स्वास्थ्य के साथ साथ कार्मिक विभाग एवं वित्त विभाग के सचिव को भी दी गयी है.