एसएनएमएमसीएच में कैंसर मरीजों को पर्याप्त सुविधाएं नहीं मिल रही
धनबाद: धनबाद में कैंसर मरीजों की संख्या लगातार बढ़ती जा रही है. जिले में ऐसे करीब 25 हजार रागी हैं. इसके बावजूद सरकारी स्तर पर उनके इलाज की पर्याप्त व्यवस्था नहीं है. शहीद निर्मल महताे मेडिकल कॉलेज एवं अस्पताल (एसएनएमएमसीएच) में कैंसर मरीजों की जांच और इलाज के लिए करीब एक साल पहले रेडियोथेरेपी विभाग की ओपीडी शुरू की गयी थी. वहां दो विशेषज्ञ चिकित्सक प्रोफेसर डॉ. अरुण कुमार और सहायक प्रोफेसर डॉ. संजीव कपूर वर्मा तैनात थे।
मकसद था कि कैंसर मरीजों की पहचान हो सके और उन्हें कम से कम कीमोथेरेपी की सुविधा मिल सके. लेकिन, अस्पताल में ऐसे मरीजों के लिए न तो वार्ड की व्यवस्था की गयी है और न ही प्रशिक्षित मानव संसाधन की. अस्पताल की ओपीडी में 70 से अधिक कैंसर मरीज पंजीकृत हैं, लेकिन इनमें से केवल 4-5 को ही कीमोथेरेपी की सुविधा मिल पाई है। अन्य मरीज निजी अस्पतालों में मोटी रकम खर्च कर कीमोथैरेपी लेने को मजबूर हैं।
ज्यादातर मरीज इसके लिए दूसरे जिलों या राज्यों का रुख करते हैं। शहर के एक निजी अस्पताल के संचालक ने बताया कि यहां कीमा का गोला है. इसकी कीमत बीमारी की स्थिति और दवा पर निर्भर करती है। फिर भी एक सर्किल के कीमा की कीमत 20 हजार रुपये से लेकर एक लाख रुपये तक है. अगर मेडिकल कॉलेज अस्पताल में सुविधाएं मिल जाये तो यह खर्च बच जायेगा.
मरीज के परिजन कहते हैं-सरकारी सुविधाएं होती तो कर्ज में नहीं डूबते
केस 1: 54 साल के असलम अंसारी (बदला हुआ नाम) लिवर कैंसर से पीड़ित हैं। असर्फी की अस्पताल में कीमोथेरेपी चल रही है। परिजनों ने बताया कि छह माह पहले बीमारी का पता चला था. तब से उनका इलाज चल रहा है. जमीन बेचकर और कर्ज लेकर सात लाख रुपये खर्च कर दिये हैं. फिर सीएम गंभीर बीमारी इलाज योजना से 5 लाख रुपये मिले. अगर सरकारी अस्पताल में इलाज की सुविधा होती तो हम कर्ज में नहीं डूबते.
केस 2: 83 वर्षीय इतवारी देवी (बदला हुआ नाम) भी लीवर कैंसर से पीड़ित हैं और असर्फी अस्पताल में कीमोथेरेपी करा रही हैं। उनके परिजनों का कहना था कि इलाज बहुत महंगा है. यह सुविधा सरकारी अस्पतालों में भी उपलब्ध होनी चाहिए। मरीजों के लिए सरकार से मिलने वाली सहायता राशि से ज्यादा जरूरी है कि अस्पताल में मुफ्त इलाज की सुविधा उपलब्ध हो.