TS Singh Deo: टीएस सिंहदेव ने बताया कि इस्तीफे का पत्र लिखने से पहले उन्होंने दो दिन पहले मुख्यमंत्री भूपेश बघेल से फोन पर बात की थी। उनका अपना पक्ष बताया। पत्र लिखने से पहले भी उनको फोन किया। घंटी बजी लेकिन बात नहीं हो पाई।
छत्तीसगढ़ कांग्रेस का अंदरूनी विवाद अब हाईकमान तक पहुंच सकता है। दरअसल बीते रविवार की रात को कांग्रेस विधायक दल की बैठक के बाद 61 विधायकों ने एक पत्र पर हस्ताक्षर कर दिल्ली भेजने की तैयारी की है। बताया जा रहा है कि इस पत्र में केबिनेट मंत्री जयसिंह अग्रवाल को छोड़ दस मंत्रियों के भी हस्ताक्षर हैं। पत्र में टीएस सिंहदेव के खिलाफ कार्रवाई करने की मांग की गई है। वहीं सार्वजनिक पत्र लिखकर सरकार पर आरोप लगाने वाले सिंहदेव ने अपना पक्ष रखने के लिए पार्टी हाईकमान से मुलाकात का वक्त मांगा है।
पार्टी हाईकमान से मिलने का मांगा समय
टीएस सिंहदेव ने विधानसभा परिसर में संवाददाताओं से बातचीत में कहा, "गुजरात विधानसभा चुनाव को लेकर वरिष्ठ पर्यवेक्षक अशोक गहलोत ने 20 जुलाई को अहमदाबाद में बैठक का समय तय किया है। उनका मामला आने से पहले ही वे दिल्ली होकर अहमदाबाद जाने का कार्यक्रम बना चुके थे। अब कोई नेता दिल्ली जाता है तो हाईकमान से मिलने का समय मांगता ही है। मैंने भी समय मांगा है। मिलता है तो सभी मुद्दों पर बात होगी।"
सिंहदेव से जब उनके खिलाफ अनुशासनात्मक कार्रवाई की मांग को लेकर सवाल किया गया तो उन्होंने कहा, "सभी अनुभवी विधायक हैं। लंबे समय से राजनीतिक जीवन में हैं। उनका अपना दृष्टिकोण है। अगर उनको लगता है कि यह अनुशासनहीनता है तो उनको स्वतंत्रता है अपनी राय रखने की। मैंने उस पत्र के जरिए बस अपनी मंशा सामने रखी थी।"
20 जुलाई को विधानसभा में नहीं रहेंगे सिंहदेव
उन्होंने आगे बताया कि वे 20 जुलाई को विधानसभा में नहीं रह पाएंगे और 21 जुलाई को भी शायद न लौट पाएं। उस दिन विधानसभा में उनके विभाग से जुड़े प्रश्न होने हैं। सिंहदेव ने कहा, अगर नहीं आ पाऊंगा तो किसी साथी मंत्री से निवेदन क लूंगा कि उनके विभागों के प्रश्नों का जवाब दे दें। 22 जुलाई को विधानसभा की कार्रवाई में आएंगे।
बिहार सरकार के स्वास्थ्य मंत्री ने आगे कहा, "पिछले दिनों केंद्रीय पंचायती राज मंत्री छत्तीसगढ़ के दौरे पर थे। अपने दौरे की शुरुआत में ही उन्होंने शायद यह टिप्पणी की थी कि छत्तीसगढ़ प्रधानमंत्री आवास और रोजगार गारंटी में खराब काम कर रहा है। उस बात को भी मैंने अपने ऊपर लिया। मैं अगर मंत्री हूं तो विभाग के खराब काम का पहला दायित्व मेरा है। यह बात थी कि मैं उस विभाग में न रहूं तो शायद बेहतर काम हो। कुछ प्रस्ताव थे जो नहीं हो पा रहे थे तो शायद उस विभाग में मंत्री के रूप में मैं कारगर नहीं हो पा रहा था।"
बघेल और पुनिया को किया फोन लेकिन...
उन्होंने यह भी बताया कि इस्तीफे का पत्र लिखने से पहले उन्होंने दो दिन पहले मुख्यमंत्री भूपेश बघेल से फोन पर बात की थी। उनका अपना पक्ष बताया। पत्र लिखने से पहले भी उनको फोन किया। घंटी बजी लेकिन बात नहीं हो पाई। शायद उनकी कहीं अन्य व्यस्तता था। पुनिया जी को भी फोन किया था। उस दिन पीसीसी की बैठक थी तो उनका भी फोन नहीं उठा। बाद में उन्होंने फोन किया था, तब उनको पूरी बात बताई।