झारखंड

ब्रांडेड खाद्यान्न कंपनियों ने जीएसटी से बचने का नया फंडा ढूंढा, अब 30 से 35 किलो के बनने लगे पैकेट

Rani Sahu
22 July 2022 7:14 AM GMT
ब्रांडेड खाद्यान्न कंपनियों ने जीएसटी से बचने का नया फंडा ढूंढा, अब 30 से 35 किलो के बनने लगे पैकेट
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ब्रांडेड खाद्यान्न कंपनियों ने जीएसटी से बचने का नया फंडा ढूंढा

Ranchi: देश में जीएसटी की नयी दरें लागू होने के साथ ब्रांडेड खाद्य पदार्थ वाले पैकिंग में बदलाव कर इसका फायदा उठाने में जुट गए हैं. मालूम हो कि 18 जुलाई से जीएसटी की दरों में बदलाव हुआ है. 17 जुलाई से ही बाजार में ब्रांडेड खाद्य पदार्थों की पैकिंग पर असर दिखने लगा है. नियमों की मानें तो 25 किलो से अधिक के खाद्य सामग्री पैकिंग में जीएसटी नहीं लगाने का प्रावधान है. ऐसे में ब्रांडेड कंपनियों के आटा, चावल समेत कई खाद्य सामग्री बाजार में 30 से 35 किलो के पैकिंग में आने लगे हैं. ज्यादा वजन वाले ये पैकेट किराना स्टोर के लिए तैयार किया जा रहा है. किराना दुकान वाले खुले में इन ब्रांडेड सामानों को बेच सकेंगे. खुले में बेचने पर जीएसटी नहीं देना होगा. ऐसे करने से उपभोक्ताओं को ब्रांडेड वस्तुएं भी मिलेंगी और ग्राहकों को जीएसटी भी नहीं चुकाना होगा.

छोटे डीलर की बढ़ी परेशानी: स्थानीय डीलरों से बात करने से जानकारी मिली की ब्रांडेड खाद्य पदार्थों के पैकिंग में बदलाव से छोटे डीलरों की मुसीबत बढ़ गयी है. पहले तो डीलर और आम जनता महंगाई को लेकर परेशान थे ही. लेकिन व्यवस्था लागू होने के बाद बड़ी कंपनियों ने पैकिंग बदल दी. नतीजा ये हो रहा है कि लोग ब्रांडेड पदार्थों को खरीद रहे है. जबकि इससे सरकार को जीएसटी भी नहीं मिलेगा क्योंकि 25 किलो से अधिक की है. कुछ डीलरों ने बताया कि बड़ी कंपनियों को देखकर अब स्थानीय डीलर भी पैकिंग में बदलाव करने लगे है.
सरकार को होगा करोड़ों का नुकसान: कुछ व्यवसायियों और जीएसटी एक्सपर्ट्स से बात करने से जानकारी मिली कि केंद्र सरकार ने ऐसे नियम लागू करके राजस्व को ही नुकसान पहुंचाया है. बड़ी कंपनियों को देखकर छोटी और लोकल कंपनियां भी पैकिंग की सीमा 25 किलो से अधिक की कर रही है. ऐसे में जीएसटी नियमों की मानें तो 25 किलो तक के खाद्यान्न पैकिंग पर ही जीएसटी पांच फीसदी लागू होगी. इससे अधिक के पैकेड फूड खुले बाजार में बेचने से जीएसटी नहीं लगेगा. ऐसे में सरकार को करोड़ों का नुकसान तो है. साथ ही बाजार में ब्रांडेड और लोकल कंपनियों के बीच अंतर काफी आयेगा.
अनाज से लेकर मिल्क प्रोड्क्टस तक महंगी: पूर्व की व्यवस्था के अनुसार ब्रांडेड नहीं होने पर विशेष खाद्य पदार्थों, अनाज आदि पर जीएसटी से छूट थी. वहीं, अब प्री-पैक, प्री-लेबल दही, लस्सी और बटर मिल्क सहित प्री-पैकेज्ड और प्री-लेबल रिटेल पैक से छूट हटा दी गयी है. ऐसे में पैकेट बंद चावल, आटा, दाल, दही, मक्खन आदि पर अब 5 प्रतिशत जीएसटी लग रहा है.

Rani Sahu

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