झारखंड

बोकारो : इतिहासकारों एवं पुरातत्वविदों के लिए रहस्यमय बना विष्णु पदचिन्ह, शिलापट्ट पर लिखा शब्द पढ़ ना सका कोई

Renuka Sahu
19 Oct 2022 2:45 AM GMT
Bokaro: Vishnu footprint became mysterious for historians and archaeologists, no one could read the words written on the inscription
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न्यूज़ क्रेडिट : lagatar.in

बोकारो से 20 किलोमीटर दूर कुम्हरी गांव के बधार में स्थित है भगवान विष्णु का पदचिन्ह.

जनता से रिश्ता वेबडेस्क। बोकारो से 20 किलोमीटर दूर कुम्हरी गांव के बधार में स्थित है भगवान विष्णु का पदचिन्ह. यह पदचिन्ह इतिहासकारों एवं पुरातत्वविदों के लिए रहस्यमय बना हुआ है. सैकड़ों साल पुराने पत्थर के शिला पर लिखा गया शब्द आज तक कोई पढ़ नही सका. अब यह विष्णु पदचिन्ह श्रद्धालुओं की आस्था का केंद्र बन गया है. स्थानीय लोगों के अलावा चेचका धाम आने वाले श्रद्धालुओं के लिए आकर्षण का केंद्रबिंदु है.

प्रकृति का मनोरम दृश्य
यह पदचिन्ह प्रकृति के गोद में अवस्थित है. यह मंदिर घनघोर जंगल के बीच है जो चारों तरफ पहाड़ों से घिरा हुआ है. यहां झील भी है, जिससे सालों भर पानी निकलता रहता है. विष्णु पदचिन्ह पत्थर पर स्पष्ट रूप से उभरा हुआ दिखता है.
क्या है धार्मिक मान्यता
धार्मिक मान्यता है कि जिस जगह पर तिलस्मी भाषा में कुछ लिखा हुआ है वहां अशर्फी का भंडार है. जो इस भाषा को पढ़ लेगा वह उसके राज को समझ जाएगा. जब राज जान जायेगा तो उसे वह अशर्फी मिल जायेगा. लेकिन तमाम प्रयासों के बावजूद आज तक कोई भी व्यक्ति उस शिलापट्ट पर लिखे तिलस्मी भाषा को नहीं पढ़ सका.
5 वर्ष पूर्व पहुंची थी रांची से पुरातत्व की टीम
ग्रामीणों के मुताबिक लगभग 5 वर्ष पूर्व 2017 में रांची से पुरातत्व विभाग की टीम यहां पहुंची थी. इसे देखने के बाद टीम पुनः आने की बात कहकर वापस लौट गई. लेकिन आज तक पुरातत्व विभाग की टीम वापस नहीं लौटी. उस वक्त टीम में पुरातत्व के एक्सपोर्ट नही थे.
चेचका धाम मंदिर समिति करता है देखभाल
चेचका धाम मंदिर ट्रस्ट समिति भगवान विष्णु पदचिन्ह का देखभाल करती हैं. पूजा अर्चना भी समिति की देखरेख में की जाती हैं. इसके लिए समिति का गठन किया गया है. समिति के मुताबिक ये पदचिन्ह कब का है, किसी को जानकारी नहीं है. वर्तमान में इसकी पूजा अर्चना चल रही है.
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क्या कहते हैं श्रद्धालु
श्रद्धालु सुजीत सरखेल ने बताया कि पूजा अर्चना जारी है. यह अति प्राचीन पदचिन्ह है. शिलापट्ट पर लिखा शब्द आजतक कोई पढ़ नहीं पाया. वहीं सुनीता देवी का कहना है कि यहां मनोवांछित फल प्राप्त होते हैं. सभी मनोकामनाएं पूरी होती है. पूर्वजों के मुताबिक पदचिन्ह के नीचे अशर्फी का अकूत खजाना है.
हजारों साल पुराना है विष्णु पदचिन्ह-ग्रामीण
वहीं कुम्हारि गांव निवासी सपन दत्ता ने बताया कि यह प्राचीन मंदिर है. दादा परदादा के समय का पदचिन्ह है. उसी वक्त से पूजा अर्चना जारी है. कब इसका निर्माण हुआ, हम ग्रामीणों को कोई जानकारी नहीं है. स्थानीय लोगों के सहयोग से छोटी सा मंदिर बनवाया गया है. श्रद्धालुओं को इसे लेकर अपार श्रद्धा है.
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