लोहरदगा. झारखंड के लोहरदगा जिले के किस्को प्रखंड अंतर्गत राजकीय उत्क्रमित उर्दू उच्च विद्यालय अब विवादों से घिर गया है. इस विद्यालय से 1976 में पढ़कर निकले धनेश्वर पांडे ने आरोप लगाया है कि इस विद्यालय में जिस समय वो पढ़ा करते थे, उस समय नाम प्राथमिक विद्यालय हुआ करता था. 1976 में जब उन्हें विद्यालय से सर्टिफिकेट दिए गए थे तब उसपर उर्दू विद्यालय का कहीं जिक्र नहीं था. लेकिन अब विद्यालय का नाम उर्दू विद्यालय हो गया है. यह एक षड्यंत्र के तहत किया गया है. इस विद्यालय का संचालन पहले की ही तरह होना चाहिए.
वहीं इस उर्दू विद्यालय का विवाद बीजेपी सांसद सुदर्शन भगत तक पहुंचा तो उन्होंने शिक्षा विभाग से इसकी जांच कराने की बात कही. सांसद ने कहा कि ग्रामीणों और अभिभावकों की तरफ से चरहू उर्दू उच्च विद्यालय के संदर्भ में खासकर उर्दू नाम को लेकर आपत्ति जताई गई है. इनका कहना है कि यह सामान्य विद्यालय था, लेकिन अचानक कैसे यह स्कूल उर्दू उच्च विद्याालय में परिणत हो गया. हमने विभाग को कहा है कि मामले की जांच होनी चाहिए. जब सरकारी स्कूल राज्य सरकार का है तो निश्चित रूप से विभाग के संज्ञान में ये बात है कि नहीं यह भी सवाल है.
चरहू के ग्रामीण और स्कूल के पूर्व छात्र रहे पूर्व पंचायत जनप्रतिनिधि धनेश्वर पांडेय ने जिला परिसदन में सांसद को चरहू स्कूल से 31 दिसंबर 1976 में पांचवीं पास करने का अपना सर्टिफिकेट दिखाया. इसमें विद्यालय के नाम के साथ उर्दू शब्द का जिक्र नहीं है. प्राथमिक विद्यालय चरहू लोहरदगा लिखा है. धनेश्वर पांडेय ने कहा कि षडयंत्र के तहत बाद में स्कूल के नाम के साथ उर्दू शब्द जोड़ा गया. उन्होंने कई बार इसकी जांच और कार्रवाई करने की मांग पहले भी की है.
वहीं अब राजकीय उत्क्रमित उर्दू उच्च विद्यालय चरहु को जिला शिक्षा विभाग ने उर्दू स्कूल का मान्यता दिया है. जिले के 18 उर्दू स्कूलों की लिस्ट में इसे भी शामिल कर दिया गया है. लेकिन अब बखेड़ा खड़ा होते ही जिला शिक्षा विभाग भी इसकी जांच में जुट गई है. सांसद और स्थानीय ग्रामीण की पर रविवार को किस्को प्रखंड शिक्षा पदाधिकारी चार्ल्स हेंब्रम ने उर्दू उच्च विद्यालय चरहु जाकर स्कूल के दस्तावेजों को खंगाला और जिला शिक्षा विभाग के पास भेज दिया. जिला शिक्षा विभाग आगे की जांच में जुट गया है.