राँची न्यूज़: झारखंड विधानसभा के मानसून सत्र के चौथे दिन की शुरुआत हंगामे के साथ हुई और भोजनावकाश के बाद हंगामे के साथ ही सदन की कार्यवाही गुरुवार के लिए स्थगित कर दी गयी. जहां सदन की पहली पाली शुरू होने से पहले ही सत्ताधारी विधायक, मंत्री हाथों में तख्तियां लेकर सदन की सीढ़ियों पर बैठ गए. उनके हाथों में किसानों के हितों से जुड़ी तख्तियां थीं।
केंद्र किसानों के साथ अच्छा नहीं कर रही है
इस आंदोलन को लेकर श्रम मंत्री सत्यानंद भोक्ता ने कहा है कि भारत सरकार राज्य के किसानों के साथ अच्छा नहीं कर रही है. सौतेला व्यवहार कर रही है मां राज्य सरकार ने राज्य के किसानों की स्थिति का आकलन करने के बाद केंद्र सरकार से लगभग 1100 करोड़ रुपये की मांग की थी, लेकिन केंद्र केवल 502 करोड़ रुपये ही दे रहा है. उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार को झारखंड के साथ सौतेला व्यवहार नहीं करना चाहिए, जितना उसने मांगा है.
पहले मिट्टी फिर पार्टी
विधायक सुदिव्य सोनू ने कहा कि सत्ता पक्ष केंद्र से राज्य के सहयोग के लिए धरने पर बैठा है. एक सवाल के जवाब में उन्होंने कहा कि भाजपा झारखंड में सूखा घोषित करने की मांग कर रही है. उनके मन, वचन और कर्म एक हैं, इसलिए वह 9131 करोड़ के दावे पर 502 करोड़ दे रही हैं. उन्होंने कहा कि पहले मिट्टी फिर पार्टी. आप केंद्र से सहयोग की उम्मीद कर रहे हैं. क्या किसान इस समय चिंतित हैं? इस सवाल के जवाब में उन्होंने कहा कि राज्य सरकार नीति के मुताबिक जिलेवार आकलन कर निर्णय लेगी.
हेमंत सरकार को बने रहने का कोई अधिकार नहीं है
सत्ताधारी विधायक और मंत्रियों के आंदोलन पर बीजेपी विधायक बिरंची नारायण ने कहा कि सरकार निकम्मी है. जब सत्ता पक्ष ही विपक्ष की जगह खड़ा हो जाए तो इस सरकार को बने रहने का कोई अधिकार नहीं है. वह अपनी कमियों को केंद्र के सामने रख रही है. केंद्र से पैसा मिलने के सवाल पर उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी सिर्फ यही कहते हैं कि ईमानदारी से काम करो. अगर ये सरकार ईमानदारी से काम करने की शपथ ले तो पैसा दिया जाएगा.