![बीजेपी का प्रतिनिधिमंडल राज्यपाल से मिला बीजेपी का प्रतिनिधिमंडल राज्यपाल से मिला](https://jantaserishta.com/h-upload/2023/08/05/3263273-66eda88908aa36e1c7a2087d3512df8c.webp)
जमशेदपुर: प्रतियोगी परीक्षा विधेयक पास होने के बाद भी बीजेपी का विरोध जारी है. बीजेपी ने भी इस बिल पर विरोध की बात राज्यपाल के सामने रखी है. बीजेपी प्रतिनिधिमंडल ने राज्यपाल सीपी राधाकृष्णन से मुलाकात की. इस बैठक के बाद बीजेपी ने राज्यपाल को बिल का विरोध करते हुए पत्र सौंपा है और अपनी आपत्ति दर्ज कराई है. बीजेपी ने राज्यपाल से बिल की समीक्षा करने और उसके बाद ही कोई फैसला लेने की अपील की है.
भारतीय जनता पार्टी की ओर से सौंपे गए पत्र में लिखा है, भारतीय जनता पार्टी भ्रष्टाचार और कदाचार मुक्त परीक्षा संचालन की प्रबल पक्षधर है. लेकिन उक्त विधेयक के माध्यम से राज्य सरकार झारखंड लोक सेवा आयोग, झारखंड कर्मचारी चयन आयोग जैसे संस्थानों में प्रतियोगी युवाओं की आवाज को दबाकर मनमाने ढंग से प्रतियोगी परीक्षा आयोजित करना चाहती है। यह आशंका तब और प्रबल हो जाती है जब पिछले दिनों जेपीएससी द्वारा आयोजित 7वीं से 10वीं तक की सिविल सेवा परीक्षा और जेएसएससी द्वारा आयोजित जूनियर इंजीनियर परीक्षा में भारी धांधली उजागर हुई.
अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता का स्पष्ट उल्लंघन
इस पत्र में लिखा है, प्रथम दृष्टया राज्य सरकार ने इस अनियमितता को सिरे से खारिज कर दिया, लेकिन युवाओं, अभ्यर्थियों के व्यापक विरोध और परीक्षा में धांधली के पर्याप्त सबूतों के परिणामस्वरूप यह खुलासा हुआ कि राज्य सरकार ने धांधली की बात स्वीकार कर ली है, श्रीमान, यदि यदि यह विरोध नहीं होता तो राज्य सरकार अनियमित बहाली करने में सफल हो जाती. विरोध का नतीजा यह हुआ कि JSSC को जूनियर इंजीनियर परीक्षा रद्द करनी पड़ी.
भाजपा का मानना है कि ऐसी त्रुटियों, धांधलियों, विफलताओं और सत्ता पोषित भ्रष्टाचार के खिलाफ आवाज दबाने के लिए राज्य सरकार ने उक्त विधेयक पारित किया है. महोदय, उपरोक्त विधेयक में अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता का स्पष्ट उल्लंघन है। उदाहरण के लिए, विधेयक के खंड 11 (2) में राज्य सरकार को प्रश्नपत्रों, उत्तर पुस्तिकाओं के संबंध में सवाल उठाने वाले परीक्षार्थियों, प्रिंट, इलेक्ट्रॉनिक और सोशल मीडिया और जन प्रतिनिधियों के खिलाफ बिना किसी प्रारंभिक जांच के एफआईआर दर्ज करने का अधिकार दिया गया है। संबंधित परीक्षाओं और किसी भी वरिष्ठ अधिकारी की मंजूरी के बिना लोगों को गिरफ्तार करने का प्रावधान किया गया है।