झारखंड
झारखंड विधानसभा में मॉब लिंचिंग के खिलाफ हुए बिल पास, किए गए ये सख्त प्रावधान
Deepa Sahu
21 Dec 2021 5:19 PM GMT
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झारखंड की हेमंत सरकार ने मॉब लिंचिंग पर लगाम कसने के लिए 'भीड़ हिंसा एवं भीड़ लिंचिंग निवारण विधेयक' का मसौदा मंगलवार को सदन से पारित करवा लिया है.
झारखंड की हेमंत सरकार ने मॉब लिंचिंग पर लगाम कसने के लिए 'भीड़ हिंसा एवं भीड़ लिंचिंग निवारण विधेयक' का मसौदा मंगलवार को सदन से पारित करवा लिया है. तैयार मसौदे के अनुसार, मॉब लिंचिंग के दोषी को सश्रम आजीवन कारावास और 25 लाख रुपये तक का जुर्माना हो सकेगा. पारित विधेयक का नाम झारखंड मॉब वायलेंस और मॉब लिंचिंग की रोकथाम विधेयक 2021 रखा गया है. बीजेपी ने इसे कई कारणों से काला कानून बताया है और आरोप लगाया है कि यह पार्टी विशेष को टारगेट करने के लिए कानून बनाया गया है. हालांकि, संसदीय कार्य मंत्री ने कानून बनाने के मकसद को आजतक से साझा किया और आरोपों को खारिज कर दिया. इसी मुद्दे पर कांग्रेस नेता राहुल गांधी का ट्वीट भी सदन के अंदर और बाहर चर्चा का विषय बना रहा.
विधानसभा के शीतकालीन सत्र में बिल्कुल शॉर्ट नोटिस पर सरकार ने झारखंड मॉब वायलेंस और मॉब लिंचिंग की रोकथाम विधेयक 2021 पर पेश किया और पारित करवा लिया. दरअसल, बिल का ड्राफ्ट कम से कम पांच दिन पहले विधायकों को देने का प्रावधान है और विशेष परिस्थितियों में सरकार तीन दिन पहले किसी बिल के बारे में बता देती है लेकिन यहां सबकुछ अचानक हुआ.
BJP ने बताया सरकार का काला अध्याय
बीजेपी विधायक अमित मंडल ने कहा कि सरकार का यह काला अध्याय पूरे झारखंड में लिखा जाएगा. उन्होंने इसे तैयार करने वाले अधिकारियों की मंशा पर भी सवाल उठाया. बीजेपी विधायक ने कहा कि इसमें भीड़ को अंग्रेजी में मॉब (Mob) लिखा गया है और उसके बारे में कहा गया है कि दो या दो से अधिक. किस आधार पर दो व्यक्ति को मॉब लिखा गया है. ये सरकार को खुश करने के लिए IAS अधिकारियों का कारनामा है.
उम्र कैद की जगह फांसी की मांग
जबकि सत्ता पक्ष ने इसे ऐतिहासिक बताते हुए कहा कि इसे बहुत पहले आ जाना चाहिए थी. यहां तक कांग्रेस विधायक दीपिका सिंह पांडेय ने इस कानून में उम्र कैद की जगह फांसी देने की मांग की. प्रभारी मंत्री ने कहा कि यह कानून सुप्रीम कोर्ट के निर्देश पर लाया गया है. कोर्ट ने सरकारों को इसको लेकर कानून बनाने का निर्देश दिया था. यह कानून बहुत पहले ही जाना चाहिए था. कई राज्य पहले इस कानून को ले आए. सत्ता पक्ष में बहुमत होने के कारण यह बिल पास सदन से पास हो गया.
मॉब लिंचिंग को किया परिभाषित
बिल के प्रारूप के अनुसार, राज्य के अंदर लिंचिग रोकने की दिशा में मॉनिटरिंग और समन्वय के लिए आईजी स्तर के एक अधिकारी को नियुक्त किया जाएगा. इन्हें नोडल अफसर कहा जाएगा. इतना ही नहीं, प्रारूप में मॉब लिंचिंग को परिभाषित किया गया है. किसी भीड़ द्वारा धार्मिक, रंगभेद, जाति, लिंग, जन्मस्थान, भाषा सहित किसी ऐसे ही आधार पर की गई हिंसा या हिंसक घटना जो किसी की हत्या का कारण बन जाए, इस तरह की घटनाओं को मॉब लिंचिंग कहा जाएगा. दो या दो से ज्यादा लोगों के समूह को मॉब कहा गया है.
देश का चौथा राज्य बना झारखंड
विधेयक को सदन से पारित कराने वाला झारखंड देश का चौथा राज्य बन गया है. इसके पहले मणिपुर, राजस्थान और पश्चिम बंगाल में भी मॉब लिंचिंग के खिलाफ कानून बन चुका है.
राहुल गांधी के Tweet पर चर्चा
विधानसभा के अंदर और बाहर राहुल गांधी के मॉब लिंचिंग पर किया गया ट्वीट भी चर्चा का विषय बना रहा. दरअसल, कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष और वायनाड सांसद ने तंज स्वरूप अपने ट्विटर अकाउंट पर लिखा, ''2014 से पहले 'लिंचिंग' शब्द सुनने में भी नहीं आता था. शुक्रिया मोदी जी.'' इस पर प्रतिक्रिया देते हुए झारखंड के पूर्व मंत्री और विधायक सीपी सिंह ने कहा राहुल गांधी को पूछना चाहिए था कि 1984 में क्या हुआ था? वह तो नरसंहार था.
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